



नोएडा (नोएडा खबर)
जीवन की उलझनों में खोए हुए लोगों को उनके अपनों से मिलाने की एक और मर्मस्पर्शी कहानी ने पिछले सप्ताह “अपना घर आश्रम नोएडा” में नया अध्याय जोड़ा। छह प्रभुजनों—डिंपल शर्मा, उषा, राधा, ज्ञान देवी, रिंकू यादव और रुबीना—को उनकी खोई हुई जिंदगी में वापस लौटाने में आश्रम को उल्लेखनीय सफलता मिली। यह कहानी न केवल सेवा और समर्पण की है, बल्कि उन परिवारों के पुनर्मिलन की भी है, जिन्हें अपनों की कमी ने लंबे समय तक व्यथित रखा था।
डिंपल शर्मा की वापसी: एक नई शुरुआत
25 वर्षीय डिंपल शर्मा, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ अवस्था में आश्रम पहुंची थीं, ने आश्रम की देखभाल और प्रेम से नया जीवन पाया। उनके पिता श्री कमलेश्वरी प्रसाद शर्मा और भाई श्री हर्षिकेश शर्मा, गुड़गांव, हरियाणा से उन्हें लेने पहुंचे। डिंपल को अपने परिवार के साथ हंसते-मुस्कुराते देख आश्रम में मौजूद हर व्यक्ति की आंखें खुशी से नम हो गईं।
25 वर्षीय डिंपल शर्मा, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ अवस्था में आश्रम पहुंची थीं, ने आश्रम की देखभाल और प्रेम से नया जीवन पाया। उनके पिता श्री कमलेश्वरी प्रसाद शर्मा और भाई श्री हर्षिकेश शर्मा, गुड़गांव, हरियाणा से उन्हें लेने पहुंचे। डिंपल को अपने परिवार के साथ हंसते-मुस्कुराते देख आश्रम में मौजूद हर व्यक्ति की आंखें खुशी से नम हो गईं।
उषा की कहानी: पति और बेटी का साथ
60 वर्षीय उषा प्रभुजी को उनके पति श्री नानक चंद और बेटी श्रीमती अनीता अग्रवाल, गौहत, संभल, उत्तर प्रदेश से आश्रम में लेने आए। उषा के चेहरे पर अपने परिवार को देखकर जो सुकून उभरा, वह आश्रम की सेवा का सबसे बड़ा पुरस्कार था।
60 वर्षीय उषा प्रभुजी को उनके पति श्री नानक चंद और बेटी श्रीमती अनीता अग्रवाल, गौहत, संभल, उत्तर प्रदेश से आश्रम में लेने आए। उषा के चेहरे पर अपने परिवार को देखकर जो सुकून उभरा, वह आश्रम की सेवा का सबसे बड़ा पुरस्कार था।
राधा की खोज: परिवार से बिछड़े रिश्तों का मिलन
35 वर्षीय राधा, जो मानसिक अस्वस्थता के कारण अपने परिवार से बिछड़ गई थीं, आश्रम की मेहनत और सेवा से स्वस्थ हुईं। आश्रम ने उनके परिवार को खोजकर सूचित किया, और उनके भाई श्री रवि रस्तोगी, राम सिटी, उत्तर प्रदेश से उन्हें लेने पहुंचे। राधा का अपने भाई के गले लगना हर किसी के लिए एक भावुक पल था।
35 वर्षीय राधा, जो मानसिक अस्वस्थता के कारण अपने परिवार से बिछड़ गई थीं, आश्रम की मेहनत और सेवा से स्वस्थ हुईं। आश्रम ने उनके परिवार को खोजकर सूचित किया, और उनके भाई श्री रवि रस्तोगी, राम सिटी, उत्तर प्रदेश से उन्हें लेने पहुंचे। राधा का अपने भाई के गले लगना हर किसी के लिए एक भावुक पल था।
ज्ञान देवी और रिंकू: मां-बेटे और मां-बेटी का मिलन
65 वर्षीय ज्ञान देवी, जो कुछ दिन पहले अपने परिवार से बिछड़ गई थीं, को उनके बेटे श्री शशि कांत राय, दरभंगा, बिहार से आश्रम में लेने आए। वहीं, 25 वर्षीय रिंकू यादव को उनकी मां श्रीमती दुर्गावती, जौनपुर, उत्तर प्रदेश से आश्रम पहुंचीं। दोनों मांओं और उनके बच्चों के मिलन ने आश्रम में खुशी की लहर दौड़ा दी।
65 वर्षीय ज्ञान देवी, जो कुछ दिन पहले अपने परिवार से बिछड़ गई थीं, को उनके बेटे श्री शशि कांत राय, दरभंगा, बिहार से आश्रम में लेने आए। वहीं, 25 वर्षीय रिंकू यादव को उनकी मां श्रीमती दुर्गावती, जौनपुर, उत्तर प्रदेश से आश्रम पहुंचीं। दोनों मांओं और उनके बच्चों के मिलन ने आश्रम में खुशी की लहर दौड़ा दी।
रुबीना की वापसी: भाई का प्यार
50 वर्षीय रुबीना को उनके भाई सुल्तान, बेगूसराय, बिहार से लेने आए। रुबीना के चेहरे पर अपने भाई को देखकर जो मुस्कान बिखरी, वह आश्रम की अथक मेहनत का प्रतीक थी।
50 वर्षीय रुबीना को उनके भाई सुल्तान, बेगूसराय, बिहार से लेने आए। रुबीना के चेहरे पर अपने भाई को देखकर जो मुस्कान बिखरी, वह आश्रम की अथक मेहनत का प्रतीक थी।
अपना घर आश्रम: सेवा का संकल्प
अपना घर आश्रम नोएडा की टीम ने ठाकुर जी से प्रार्थना की कि सभी प्रभुजन स्वस्थ और सुखी रहें। आश्रम की यह पहल न केवल बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवारों से मिलाती है, बल्कि समाज में मानवता और करुणा का संदेश भी फैलाती है। यह कहानी उन अनगिनत परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो अपने प्रियजनों को खोज रहे हैं।
अपना घर आश्रम नोएडा की टीम ने ठाकुर जी से प्रार्थना की कि सभी प्रभुजन स्वस्थ और सुखी रहें। आश्रम की यह पहल न केवल बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवारों से मिलाती है, बल्कि समाज में मानवता और करुणा का संदेश भी फैलाती है। यह कहानी उन अनगिनत परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो अपने प्रियजनों को खोज रहे हैं।
आश्रम की इस भावनात्मक यात्रा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि प्रेम, सेवा और समर्पण से हर खोया हुआ रिश्ता अपने घर वापस लौट सकता है।
टीम अपना घर आश्रम नोएडा: प्रभुजनों के लिए एक नया सवेरा।