नई दिल्ली, ( नोएडा खबर डॉट कॉम)
‘राष्ट्रीय हिन्दू फ्रंट’ (जनसंख्या समाधान फाउन्डेशन) ने भारत सरकार से जनसंख्या विस्फोट और जनसांख्यिकीय असंतुलन की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए “जनसंख्या नियंत्रण कानून” को तत्काल लागू करने की मांग की है।
संगठन के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने प्रधानमंत्री को संबोधित एक विस्तृत ज्ञापन में भारत की बढ़ती जनसंख्या और असंतुलित जनसांख्यिकीय स्थिति को राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा बताया है।ज्ञापन के अनुसार भारत, जो विश्व के 2.4% भू-भाग पर 17.8% आबादी (146 करोड़ से अधिक) का भार वहन कर रहा है, जनसंख्या विस्फोट के कारण संसाधनों, आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है।
संगठन का दावा है कि जनसांख्यिकीय असंतुलन गृहयुद्ध जैसी स्थिति को जन्म दे सकता है। इसे नियंत्रित करने के लिए संगठन ने पिछले 12 वर्षों से देशभर में रैलियां, सेमिनार, पदयात्राएं और हस्ताक्षर अभियान चलाए हैं।संगठन ने 2018 में 125 सांसदों के समर्थन से तत्कालीन राष्ट्रपति को मांग-पत्र सौंपा था और 2023 में 1.2 करोड़ हस्ताक्षरों के साथ “राष्ट्र रक्षा रैली” आयोजित की थी। रैली को प्रशासन द्वारा रोकने पर संगठन के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने 22 दिन का आमरण अनशन किया, जिसे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के नेतृत्व में समाप्त कराया गया।ज्ञापन में प्रस्तावित कानून में निम्न प्रावधान शामिल हैं:
- समान लागू कानून: जाति, धर्म, क्षेत्र से ऊपर राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए सभी नागरिकों पर एकसमान लागू।
- दंडात्मक प्रावधान: कानून अधिसूचित होने के एक वर्ष बाद दूसरी जीवित संतान से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी सहायता, मताधिकार और नौकरी की पात्रता समाप्त।
- कठोर सजा: चौथी संतान पर अनिवार्य नसबंदी और 10 वर्ष की जेल।
- विशेष छूट: पूर्वोत्तर और आदिवासी राज्यों की मूल जनजातियों को कुछ समय के लिए कानून से छूट।
- समान नागरिक संहिता: सभी नागरिकों के लिए एकसमान अधिकार और कर्तव्यों को सुनिश्चित करना।
संगठन ने अवैध घुसपैठ को भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) लागू कर घुसपैठियों को निर्वासित करने की मांग की। साथ ही, वक्फ कानून को समाप्त कर वक्फ संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण और दलित-वंचित वर्गों में वितरण की मांग भी उठाई।
संगठन ने सरकार द्वारा 1 फरवरी 2024 को बजट सत्र में जनसंख्या पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति की घोषणा का स्वागत किया, लेकिन समिति गठन में देरी पर निराशा जताई। संगठन ने चेतावनी दी कि समय रहते कदम न उठाए गए तो जनसांख्यिकीय असंतुलन भारत की संस्कृति और अखंडता को नष्ट कर सकता है।