लखनऊ, (नोएडाखबर डॉटकॉम)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर रविवार को प्रदेशभर के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने काली पट्टी बांधकर “विरोध दिवस” मनाया। यह विरोध पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ था। कर्मचारियों ने निजीकरण के टेंडर होने पर सामूहिक जेल भरो आंदोलन की घोषणा की और स्वेच्छा से जेल जाने के लिए सूची में अपने नाम दर्ज कराए।
संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निजीकरण से उपभोक्ताओं को होने वाले कथित लाभों के विज्ञापन पर कड़ा ऐतराज जताया। समिति ने सवाल उठाया कि यदि सरकार के अनुसार निजीकरण से 42 जनपदों में बेहतर बिजली आपूर्ति होगी, तो क्या पिछले 22 वर्षों से ऊर्जा निगमों में कार्यरत आईएएस प्रबंधन अविश्वसनीय रहा है? समिति ने ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के बयान पर भी सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने निजीकरण को बेहतर प्रबंधन और तकनीक के लिए जरूरी बताया। समिति ने कहा कि यह बयान पिछले 22 वर्षों से ऊर्जा निगमों में कार्यरत आईएएस प्रबंधन की विफलता को उजागर करता है।संघर्ष समिति ने निजीकरण की प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से भरा हुआ करार दिया। समिति ने आरोप लगाया कि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में हितों के टकराव के नियमों को शिथिल किया गया और मेसर्स ग्रांट थॉर्नटन को नियुक्त किया गया, जिसने अमेरिका में पेनल्टी स्वीकार की थी।
इसके अलावा, पावर कॉरपोरेशन के निदेशक वित्त निधि नारंग को तीन बार सेवा विस्तार दिया गया, जिन्होंने निजी घरानों के साथ मिलकर निजीकरण के लिए आरएफपी दस्तावेज तैयार कराया। यह दस्तावेज विद्युत नियामक आयोग ने आपत्तियों के साथ वापस कर दिया, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने निजीकरण के लाभों का विज्ञापन छपवाया।
विरोध दिवस के तहत वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, झांसी, बांदा, बरेली, अयोध्या, सहारनपुर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद सहित कई जनपदों और परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। समिति ने चेतावनी दी कि निजीकरण के खिलाफ उनका संघर्ष और तेज होगा।