आगरा। (नोएडाखबर डॉटकॉम)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ तीखा विरोध जताया है। समिति ने कहा है कि झूठे आंकड़ों और दमन के बल पर निजीकरण की साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। 15 जुलाई को आगरा में नियामक आयोग के सामने होने वाली टैरिफ सुनवाई के दौरान दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाएगा और इस प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की जाएगी।
संघर्ष समिति के संयोजक शेलेन्द्र दुबे ने दावा किया कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 2024-25 में 5706 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, जिसमें 4692 करोड़ रुपये टैरिफ सब्सिडी, 99 करोड़ रुपये निजी नलकूपों और 23 करोड़ रुपये बुनकरों के लिए हैं। इसके बावजूद, पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन सब्सिडी को कैश गैप में जोड़कर घाटा दिखा रहा है, ताकि निजीकरण को जायज ठहराया जा सके।
समिति के अनुसार, 2024-25 में दक्षिणांचल निगम ने 11546 करोड़ रुपये का राजस्व वसूला, जबकि सरकारी विभागों पर 4543 करोड़ रुपये बकाया है। कुल मिलाकर, 5706 करोड़ रुपये की सब्सिडी जोड़ने पर निगम की आय 21795 करोड़ रुपये हो जाती है, जबकि खर्च 19639 करोड़ रुपये है। इस तरह, निगम को 2156 करोड़ रुपये का मुनाफा हो रहा है, फिर भी झूठे आंकड़ों के आधार पर घाटे का हवाला देकर निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।समिति ने आगरा के निजीकरण मॉडल को पावर कॉरपोरेशन और जनता पर वित्तीय बोझ बताया। 2010 में आगरा की बिजली व्यवस्था टोरेंट पावर को सौंपने के बाद से कॉरपोरेशन को 2434 करोड़ रुपये की क्षति हुई है।
2023-24 में पावर कॉरपोरेशन ने 5.55 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदकर टोरेंट को 4.36 रुपये प्रति यूनिट पर बेची, जिससे 275 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं, टोरेंट ने 7.98 रुपये प्रति यूनिट की औसत दर से बिजली बेचकर 800 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। इसके अलावा, टोरेंट ने 2200 करोड़ रुपये के बकाया राजस्व को भी पावर कॉरपोरेशन को वापस नहीं किया।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण के बाद टोरेंट पावर किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही, जबकि यह राज्य सरकार की नीति है। साथ ही, नए कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं से मनमाने शुल्क वसूले जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, 2 किलोवाट के कनेक्शन के लिए 9 लाख रुपये का एस्टीमेट लिया गया। लगातार 229वें दिन बिजली कर्मियों ने वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, झांसी, बरेली, अयोध्या, सहारनपुर, नोएडा, गाजियाबाद समेत कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया। समिति ने चेतावनी दी कि जब तक निजीकरण का फैसला पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।