नोएडा: आवारा कुत्तों पर यूपी सरकार का सर्कुलर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन: विजय गोयल, पूर्व केंद्रीय मंत्री
नोएडा: सोरखा गांव में किसानों के घर तोड़े जाने पर विवाद,भारतीय किसान परिषद की प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन की चेतावनी
नोएडा पंजाबी समाज ने गौतमबुद्धनगर जिले की राजनीति में मांगी भागीदारी, 2027 विधानसभा चुनाव पर नजर: विपिन मल्हन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही दिल की बात
मायावती का पैतृक गांव बादलपुर: गौतम बुद्ध नगर में तीनो विधानसभा में बसपा की बैठकें, बहुजन समाज को जोड़ने का मौका
नोएडा: प्राधिकरण की वादाखिलाफी के खिलाफ किसानों ने डीसीपी को सौंपा ज्ञापन, मुख्यमंत्री से मुलाकात की मांग

स्पेशल स्टोरी: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा को महानगर परिषद बनाने पर विचार का दिया निर्देश, बिल्डर- अथॉरिटी सांठगांठ पर नई एसआईटी का गठन, तीन आईपीएस होंगे सदस्य

नोएडा। (नोएडा खबर डॉट कॉम)
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और बिल्डरों के बीच कथित भ्रष्टाचार और सांठगांठ के गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक नई तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) गठन का आदेश दिया है। यह फैसला बुधवार को जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोएडा अथॉरिटी को महानगर परिषद में बदलने पर विचार करने का भी निर्देश दिया है, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

मामले का विवरण:

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश नोएडा अथॉरिटी के एक पूर्व कानूनी अधिकारी द्वारा अनुचित रूप से 7.28 करोड़ रुपये के मुआवजे की मंजूरी के मामले में सुनवाई के दौरान दिया। इससे पहले गठित SIT ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत से किसानों को 20 मामलों में 117 करोड़ रुपये का अत्यधिक मुआवजा दिया गया। यह मुआवजा उन लोगों को दिया गया, जो इसके हकदार नहीं थे। SIT ने पाया कि नोएडा अथॉरिटी में निर्णय लेने की प्रक्रिया अपारदर्शी है और यह बिल्डरों के पक्ष में काम करती है।

अफसरों की जांच जरूरी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अधिकारियों और उनके परिवारों की संपत्ति, बैंक खातों, और लाभार्थियों के साथ संभावित सांठगांठ की जांच जरूरी है। SIT ने नोएडा अथॉरिटी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता की कमी को उजागर किया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:

  1. नई SIT का गठन: उत्तर प्रदेश के डीजीपी को तीन IPS अधिकारियों की नई SIT गठन करने का आदेश दिया गया है, जिसमें फॉरेंसिक विशेषज्ञ और आर्थिक अपराध शाखा (EoW) शामिल होंगे। SIT को तुरंत प्रारंभिक जांच शुरू करने और यदि कोई अपराध पाया जाता है, तो मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश है।
  2. पर्यावरणीय मंजूरी अनिवार्य: नोएडा में कोई भी नया प्रोजेक्ट बिना पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और सुप्रीम कोर्ट की ग्रीन बेंच की मंजूरी के शुरू नहीं होगा।
  3. पारदर्शिता के लिए कदम: SIT की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को सौंपी जाएगी, जो इसे मंत्रिपरिषद के समक्ष रखेंगे। नोएडा में एक मुख्य सतर्कता अधिकारी (IPS कैडर या CAG से डेप्युटेशन पर) नियुक्त किया जाएगा और चार सप्ताह के भीतर एक नागरिक सलाहकार बोर्ड गठित होगा।
  4. मुआवजे की जांच: SIT को यह जांचने का निर्देश दिया गया है कि क्या मुआवजा कोर्ट के आदेशों से अधिक था, कौन से अधिकारी जिम्मेदार थे, और क्या अधिकारियों और लाभार्थियों के बीच सांठगांठ थी।
  5. किसानों की सुरक्षा: कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन किसानों को मुआवजा मिला, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं होगी।
  6. दो सप्ताह में मंजूरी: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए SIT को मंजूरी की आवश्यकता होने पर सक्षम प्राधिकारी को दो सप्ताह में मंजूरी देनी होगी।
  7. नोएडा को महानगर परिषद बनाने का सुझाव:

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी की कार्यप्रणाली में केंद्रीकृत और अपारदर्शी प्रणाली की आलोचना की। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से नोएडा अथॉरिटी को महानगर परिषद में बदलने पर विचार करने को कहा, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे और जनहित में पारदर्शी शासन सुनिश्चित हो।

पृष्ठभूमि:
यह मामला नोएडा अथॉरिटी के कानूनी अधिकारी दिनेश कुमार सिंह और सहायक कानूनी अधिकारी वीरेंद्र सिंह नगर से जुड़ा है, जिन पर 2021 में एक भूमि अधिग्रहण मामले में 7.28 करोड़ रुपये का अनुचित मुआवजा स्वीकृत करने का आरोप है, जो 22 साल पहले ही भुगतान किया जा चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2023 में इस मामले में स्वतंत्र जांच की आवश्यकता जताई थी और जनवरी 2024 में एक SIT गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट से असंतुष्ट होने के बाद नई SIT का गठन किया गया।

प्रभाव:

यह आदेश नोएडा अथॉरिटी में भ्रष्टाचार और बिल्डरों के साथ सांठगांठ के खिलाफ कड़ा कदम है। इससे न केवल दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी, बल्कि नोएडा में प्रोजेक्ट्स की पर्यावरणीय मंजूरी और शासन में पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिलेगा। यह कदम किसानों और मध्यमवर्गीय फ्लैट खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो इस गठजोड़ की कीमत चुकाते रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी, और SIT की रिपोर्ट को कोर्ट मास्टर के पास सुरक्षित रहेगी।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *