उत्तराखंड की संस्कृति नोएडा के सेंचुरी अपार्टमेंट में उतरी: रजत जयंती का केक और एकता का संदेश

नोएडा(नोएडा खबर डॉट कॉम)
नोएडा के व्यस्त सेक्टर-100 में स्थित सेंचुरी अपार्टमेंट आमतौर पर शहरी भागदौड़ का केंद्र होता है। यहां की ऊंची इमारतें, ट्रैफिक की आवाजें और रोजमर्रा की जिंदगी में लोग अपने-अपने फ्लैट्स में कैद रहते हैं। लेकिन 9 नवंबर 2025 को, जब उत्तराखंड अपना 25वां स्थापना दिवस मना रहा था, यह अपार्टमेंट एकदम से पहाड़ों की गोद में बदल गया। “ठंडो रे ठंडो मेरे पहाड़ को पानी ठंडो हवा ठंडी…” की मधुर धुनें गूंजीं, और वेणु पाको बारह मासा जैसे लोकगीतों ने हवा में उत्तराखंड की ठंडी हवा का एहसास करा दिया। यह सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक प्रेरणादायक कहानी थी – जहां दूर शहर में बसे पहाड़ी लोग अपनी जड़ों से जुड़कर एकता और सौहार्द का संदेश दे रहे थे। और इसका क्लाइमेक्स था वह पल, जब रजत जयंती केक काटा गया, जो संस्कृति के उत्सव को और भी यादगार बना गया।कल्पना कीजिए, नोएडा की चकाचौंध में रहने वाले उत्तराखंडी परिवार कितनी बार अपनी मिट्टी को तरसते होंगे। बच्चे स्कूलों में अंग्रेजी और शहर की संस्कृति सीखते हैं, महिलाएं घर संभालते हुए पहाड़ी परंपराओं को भूलने लगती हैं, और पुरुष नौकरियों की भागदौड़ में व्यस्त। लेकिन सेंचुरी अपार्टमेंट के निवासियों ने साबित कर दिया कि दूरी जड़ों को मिटा नहीं सकती। कार्यक्रम की शुरुआत हुई छोटी-छोटी बच्चियों – कामिनी, काव्या और ऋषिका – की मनमोहक प्रस्तुति से। इन नन्हीं कलाकारों ने सांस्कृतिक गीत गाकर दिखाया कि नई पीढ़ी भी अपनी विरासत को संजो सकती है। फिर आईं अपार्टमेंट की महिलाएं – अम्बा जोशी, मंजू पवार, नीलम पांडेय, हिमानी उपाध्याय, प्रीति शर्मा, पुष्पा जोशी और मंजू टम्टा। पारंपरिक पोशाकों में सजकर उन्होंने लोक नृत्य किया, जिसमें घुंघरूओं की झंकार और थिरकते कदमों ने दर्शकों को पहाड़ों की याद दिला दी। ये महिलाएं, जो रोजाना किचन और ऑफिस की जिम्मेदारियां निभाती हैं, आज मंच पर रानी बन गईं। उनकी मुस्कान और उत्साह बता रहा था कि संस्कृति जीवित रखने से आत्मविश्वास बढ़ता है।संगीत की बारी आई तो वी.के. टम्टा, ए.डी. जोशी, यू.एस. पवार और दिलीप मिश्रा ने उत्तराखंड के लोकप्रिय गीतों से माहौल को पूरी तरह पहाड़ी रंग में रंग दिया। उनकी आवाजें इतनी जीवंत थीं कि लगता था देवभूमि की वादियां नोएडा में उतर आई हों। लेकिन असली जादू तब हुआ जब कार्यक्रम का समापन उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष के सम्मान में केक काटने के साथ हुआ। आर.डब्ल्यू.ए. के अध्यक्ष पवन यादव, उपाध्यक्ष आलोक यादव, सचिव शेष नाथ, कोषाध्यक्ष ओमवीर सिंह, और अन्य सदस्यों – कर्मजीत सिंह, पी.के. वर्मा, प्रमोद चौहान, एस.सी. शर्मा, गोपाल शर्मा – ने मिलकर यह आयोजन संभाला। केक काटते समय सभी ने तालियां बजाईं, और उस पल में उत्तराखंड की 25 साल की यात्रा का उत्सव नोएडा की इस छोटी सी सोसाइटी में सिमट आया। यह केक सिर्फ मीठा नहीं था; यह था एकता का प्रतीक, जो बता रहा था कि राज्य की स्थापना से लेकर आज तक की प्रगति को हम दूर बैठे भी मना सकते हैं।यह कहानी हमें सिखाती है कि संस्कृति को जीवित रखना कोई बोझ नहीं, बल्कि ताकत है। नोएडा जैसे शहर में बसे ये लोग, जो अलग-अलग पृष्ठभूमि से आए हैं, आज एक होकर उत्तराखंड की संस्कृति को न केवल मनोरंजन का माध्यम बनाया, बल्कि आपसी सौहार्द का पुल भी। बच्चों ने दिखाया कि नई पीढ़ी विरासत संभाल सकती है, महिलाओं ने साबित किया कि घरेलू जिम्मेदारियां रचनात्मकता को रोक नहीं सकतीं, और पुरुषों ने नेतृत्व कर बताया कि सामुदायिक प्रयास से बड़े उत्सव संभव हैं। रजत जयंती का केक काटना सिर्फ एक रस्म नहीं था; यह था एक संकल्प – कि हम जहां भी हों, अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे, और एक-दूसरे को प्रेरित करेंगे।अंत में, सेंचुरी अपार्टमेंट की यह शाम हमें प्रेरणा देती है: अपनी संस्कृति को अपनाओ, उत्सव मनाओ, और एकता बनाओ। क्योंकि जब पहाड़ों की ठंडी हवा शहर में उतरती है, तो दिलों में गर्माहट पैदा होती है। उत्तराखंड की रजत जयंती मुबारक, और ऐसे आयोजनों की बदौलत हमारी विरासत हमेशा जीवित रहेगी!

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