नोएडा में ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी सुलझी : बस ड्राइवर ने प्रेमिका की हत्या कर शव के टुकड़े किए, पुलिस ने 9 दिनों में सुलझाया केस, 5000 सीसीटीवी खंगाले

नोएडा, (नोएडा खबर डॉट कॉम)
नोएडा के थाना सेक्टर-39 इलाके में एक नाले से मिली अज्ञात महिला की लाश ने पुलिस के सामने ब्लाइंड मर्डर की बड़ी चुनौती पेश की। लेकिन थाना सेक्टर-39 पुलिस की अथक मेहनत और तकनीकी जांच ने मात्र 9 दिनों में इस जघन्य हत्याकांड का पर्दाफाश कर दिया। हत्यारा कोई और नहीं, बल्कि मृतका का प्रेमी और बस ड्राइवर मोनू सोलंकी निकला, जिसने ब्लैकमेलिंग से तंग आकर प्रीति यादव की गला काटकर हत्या की, फिर शिनाख्त छिपाने के लिए हाथ काट दिए और शव को नाले में फेंक दिया। पुलिस ने अभियुक्त की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त गंडासा, विच्छेदित अवशेष, बस और खून से सनी मैट बरामद कर ली। यह केस नोएडा पुलिस की सतर्कता और समर्पण का जीता-जागता उदाहरण बन गया।

डीसीपी नोएडा यमुना प्रसाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा:

शुक्रवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीसीपी नोएडा यमुना प्रसाद ने पूरी घटना का विस्तार से खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 6 नवंबर 2025 को सेक्टर-39 पुलिस को सूचना मिली कि एक नाले में अज्ञात महिला का शव पड़ा है। तुरंत मुकदमा संख्या 556/2025 under section 103(1), 238 BNS दर्ज किया गया। शव की शिनाख्त और हत्यारे तक पहुंचने के लिए 9 स्पेशल टीमें गठित की गईं। टीमों ने 5000 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाले, 1100 वाहनों को ट्रैक किया और 44 संदिग्ध गाड़ियों के मालिकों-ड्राइवरों से पूछताछ की। इसी दौरान 5 नवंबर की रात एक सफेद-नीली बस (नंबर UP16KT0037) लाइट बंद कर संदिग्ध तरीके से घटनास्थल की ओर जाती दिखी। बस का ड्राइवर मोनू सोलंकी उर्फ मोनू सिंह (34 वर्ष, मूल निवासी नेहरू नगर, एटा; वर्तमान पता बरौला, सेक्टर-49) निकला।

लोकल इंटेलिजेंस से पता चला कि बरौला में प्रीति यादव उर्फ प्रीति देवी (मृतका) 5-6 दिनों से लापता थी और मोनू से उसका विवाद चल रहा था। शुक्रवार यानी 14 नवंबर को मोनू को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह प्रीति की जींस फैक्ट्री में काम करने वाली मां के साथ काम करता था, जहां से अनैतिक संबंध बने। प्रीति उसे ब्लैकमेल करती थी, पैसे छीनती थी और धमकी देती थी कि उसके बच्चों (2 बेटियां, 1 बेटा) को नुकसान पहुंचाएगी। 5 नवंबर को मोनू प्रीति के घर गया, गंडासा चुराया, बस में बैठाकर पराठा खिलाते हुए झगड़े में गला काट दिया, हाथ काटकर शिनाख्त मिटाई और शव नाले में फेंका। गंडासा व अवशेष गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार में सूखे नाले में फेंके थे, जिन्हें फोरेंसिक जांच में ह्यूमन ब्लड पाया गया। निशानदेही पर गंडासा, अवशेष, बस और मैट बरामद हुई।” डीसीपी ने टीम की तारीफ करते हुए कहा, “यह ब्लाइंड केस की मिसाल है, जहां बिना किसी क्लू के तकनीक और ह्यूमन इंटेलिजेंस से हत्यारे तक पहुंचे।

प्रभारी निरीक्षक जितेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में पूरी टीम बधाई की पात्र है।”

कैसे सुलझाया गया ब्लाइंड मर्डर: स्टेप-बाय-स्टेप जांच

सूचना और शुरुआत (6 नवंबर): नाले में शव मिलने पर मुकदमा दर्ज। शव से बिछुआ आदि क्लू से शिनाख्त की कोशिश।
टीमें गठित: 9 टीमें – सीसीटीवी, व्हीकल ट्रैकिंग, लोकल इंटेलिजेंस पर फोकस।
तकनीकी जांच: 5000+ सीसीटीवी चेक, 1100 व्हीकल ट्रैक, 44 संदिग्ध गाड़ियां। बस UP16KT0037 पर फोकस।
लिंक मिला: ड्राइवर मोनू से प्रीति का कनेक्शन, लापता होने की जानकारी।
गिरफ्तारी (14 नवंबर): लोकल इंटेलिजेंस से अरेस्ट। कबूलनामा: संबंध, ब्लैकमेल, प्लानिंग, हत्या का तरीका।
बरामदगी: गंडासा (गाजियाबाद से), अवशेष, बस, मैट। फोरेंसिक कन्फर्मेशन: ह्यूमन ब्लड।
टीम का योगदान: इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह, लोकेंद्र राणा, सब-इंस्पेक्टर संजय पाल, अंकुर चौधरी, रोहित मलिक आदि की मेहनत।

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