– समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभा
लखनऊ, 16 अप्रैल।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर बिजली के निजीकरण के विरोध में आज से व्यापक जन जागरण और ज्ञापन दो अभियान शुरू किया गया। राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री हृदय नारायण दीक्षित को ज्ञापन देकर अभियान की शुरुआत की गई। निजीकरण के विरोध में आज प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किए गए।
9 अप्रैल की लखनऊ में रैली में लिए गए निर्णय के अनुसार निजीकरण के विरोध में व्यापक जन जागरण और ज्ञापन दो अभियान की शुरुआत के पहले दिन आज राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री हृदय नारायण दीक्षित जी को ज्ञापन दिया गया। लखनऊ में ही राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे को और उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य पल्लवी पटेल को ज्ञापन दिया गया।
ज्ञापन में कहा गया है कि 42 जनपदों का निजीकरण होने से उत्तर प्रदेश के सबसे गरीब पूर्वांचल और बुंदेलखंड के किसानों और आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली के दाम कम से कम तीन गुना बढ़ जाएंगे। निजीकरण का उदाहरण देकर बताया गया है कि निजी क्षेत्र में जहां उत्तर प्रदेश में घरेलू बिजली की अधिकतम कीमत 06 रु 50 पैसे प्रति यूनिट है वही निजी क्षेत्र में मुंबई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 17 से 18 रुपए प्रति यूनिट, कोलकाता में 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट और दिल्ली में 08 से 10 रुपए प्रति यूनिट बिजली की दरें हैं। निजीकरण से सबसे बड़ी चोट गरीब उपभोक्ताओं और किसानों पर पड़ने वाली है। उत्तर प्रदेश में आगरा और ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी कम कर रही है जो किसानों को मुफ्त बिजली की सुविधा नहीं देती और घरेलू उपभोक्ताओं के बिल बढ़ा चढ़ा कर दिए जाते हैं।
निजीकरण होने के बाद सबसे बड़ा खतरा 50 हजार संविदा कर्मचारियों पर है जो अत्यंत अल्प वेतन भोगी है। निजी कंपनी कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होते ही इन्हें नौकरी से बाहर कर देगी और अत्यंत अल्प वेतन भोगी यह संविदा कर्मी भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जनपदों का निजीकरण होने से लगभग 76 हजार पद सरकारी सेवा से समाप्त हो जाएंगे। निजी कंपनियां बहुत कम वेतन पर ठेके पर कर्मचारियों को रखती है। ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश के युवाओं और छात्रों के सामने बेरोजगारी की भारी निराशा खड़ी हो जाएगी।
ज्ञापन में आगरा और केस्को की बिजली व्यवस्था की तुलना करते हुए बताया गया है कि निजीकरण के बाद जहां आगरा में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का लगभग 1000 करोड रुपए का प्रति वर्ष का घाटा हो रहा है वही केस्को की प्रति यूनिट राजस्व वसूली और ए टी एंड सी हानियां आगरा के निजी क्षेत्र की तुलना में काफी कम है। केस्को में प्रति यूनिट राजस्व वसूली 07 रुपए 96 पैसे प्रति यूनिट है जबकि करार के अनुसार आगरा में टोरेंट कंपनी पावर कारपोरेशन को प्रति यूनिट 04 रुपए 36 पैसे का भुगतान करती है।
संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार जन जागरण पखवाड़े के दौरान 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाओं और प्रदर्शन का क्रम जारी रहेगा। आज प्रदेश भर में व्यापक जन जागरण और ज्ञापन दो अभियान के साथ विरोध सभाओं का क्रम प्रारंभ हुआ। संघर्ष से समिति के पदाधिकारियों ने यह संकल्प दोहराया कि प्रदेश के व्यापक हित में निजीकरण के विरोध में आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता।