नोएडा: एमिटी यूनिवर्सिटी में मनाया गया 55 वां पृथ्वी दिवस

-सम्मेलन एंव संगोष्ठी का हुआ आयोजन

नोएडा, 22 अप्रैल।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विज्ञान एवं संस्कृति को जोड़कर स्थायी पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के लिए मंगलवार को एमिटी विश्वविद्यालय में 55 वां पृथ्वी दिवस 2025 मनाया गया। इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवायरमेंटल टॉक्सीकोलॉजी, सेफ्टी एंड मैनेजमेंट द्वारा ‘‘ स्थायित्व के लिए विज्ञान और संस्कृति का जुड़ाव – पर्यावरण बचाओ, पृथ्वी बचाओ’’ विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इस सम्मेलन का शुभारंभ भारत सरकार के पूर्व पर्यावरण राज्य मंत्री श्री के जे अल्फोंस, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय के वन के पूर्व महानिदेशक डा जितेद्र कुमार, विज्ञान भारती के डा लक्ष्मी कुमार, पर्यावरण संरक्षण गतिविधी के संयोजक श्री पुनित सूद और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवायरमेंटल टॉक्सीकोलॉजी, सेफ्टी एंड मैनेजमेंट की निदेशक प्रो तनु जिंदल द्वारा किया गया।

सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए भारत सरकार के पूर्व पर्यावरण राज्य मंत्री श्री के जे अल्फोंस ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत के शहर विश्व के उच्च प्रदूषित शहरों में से है और सर्वाधिक प्रदूषित नदी हमारे देश में पाई जाती है। यह प्रदूषण किसी बाहरी व्यक्ति ने नही बल्कि हम लोगों ने किया है। जिन पांरपरिक मूल्यों और आदर्शों की बात हम करते है उनका पालन स्वंय नही कर रहे है। यमुना नदी में जितना प्रदूषण है लोग अगर गिर जाये तो डूबने की बजाय प्रदूषण से मर जायेगें। अधिकतर सीवेज बिना ट्रीटमेंट के सीधे नदियों में गिर रहे है जैसा और किसी भी देश में नही हो रहा। राज्य सरकारे एक दूसरे पर दोषारोपण कर रही है। अगर वायु प्रदूषण की बात करे तो गरीब व्यक्ति की बजाय एक घरों में पांच कार रखने वाले अधिक प्रदूषण फैला रहे है। उन्होनें कहा कि हर स्तर पर प्रयास करना होगा और हर व्यक्ति का सहयोग आवश्यक है। अगर हम वसुधैव कुटुंबकम पर विश्वास करते है तो हमें जवाबदारी लेनी होगी। उन्होनें छात्रों से कहा कि आप जहां है वही पर प्रकृति का संरक्षण कर विश्व को सबके लिए अच्छा स्थान बनाने का प्रयास प्रारंभ करें।

एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि इस सम्मेलन का उददेश्य पृथ्वी, पर्यावरण, ऊर्जा, वन और नदी संरक्षण के लिए स्थायी समाधान विकसित करने के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान के साथ आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति को एकीकृत करने पर सार्थक संवाद करना है। सम्मेलन में पर्यावरण विज्ञान, जैव विविधता संरक्षण, पारंपरिक ज्ञान प्रणालियाँ, जल संरक्षण में आधुनिक विज्ञान के साथ वैदिक ज्ञान, प्राचीन वन प्रबंधन पद्धतियाँ और उनकी आज की प्रासंगिकता शामिल हैं।

पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय के वन के पूर्व महानिदेशक डा जितेद्र कुमार ने कहा कि स्थायीत्व पर्यावरण का उददेश्य समाजिक आर्थिक, पर्यावरणीय आवश्यकताओं में संतुलन बनाना है। हजारों वर्ष पहले भी स्थायी प्रकृती हमारे जीवन का हिस्सा थी जिसे हम अन्य देशों को सीखाते थे। प्रकृति हित में ही हमारा हित है इस उददेश्य से कार्य करते थे। हमारे मूल्य चाहे वो सस्कृती से जुड़े हो या शिक्षण से हमारे पर्यावरण से जुड़े होते थे। आज उन्ही मूल्यों को फिर से अपनाने की आवश्यकता है। उन्होनें प्राचीन रेन वाटर हार्वेस्टींग का उदाहरण देते हुए हमारे कौशल और ज्ञान के बारे में विस्तार से बताया।

विज्ञान भारती के डा लक्ष्मी कुमार ने कहा कि यद्यपि वेदों में बहुत सी बहुमूल्य जानकारी और मुख्य बातें उपलब्ध हैं, तथापि आधुनिक विज्ञान को जोड़ने वाले इन पहलुओं के अनुसंधान पर उत्साह अब बढ़ रहा है। हमारे भारत ज्ञान की जड़ों को जोड़ने और जीवित प्राणियों और ब्रह्मांड की भलाई के लिए दृष्टिकोण के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है क्योंकि हम मानते हैं कि हम पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश – पंच भूतों से जुड़े हुए हैं और इनमे से हर किसी का सीधा प्रभाव मनुष्य पर पड़ता है।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवायरमेंटल टॉक्सीकोलॉजी, सेफ्टी एंड मैनेजमेंट की निदेशक प्रो तनु जिंदल ने स्वागत करते हुए कहा कि यह आयोजन आधुनिक विज्ञान और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अनूठा संगम है, जो नवाचार और परंपरा दोनों से प्रेरित सतत जीवन के लिए मार्ग तैयार करेगा। सांस्कृतिक ज्ञान और समकालीन शोध को एक साथ लाकर, इस आयोजन का उद्देश्य हमारी पृथ्वी, पर्यावरण और जीवन के संरक्षण के लिए समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। यह पता लगाएगा कि समय-परीक्षणित सांस्कृतिक प्रथाएँ और पारंपरिक पर्यावरणीय ज्ञान किस तरह से स्थिरता और लचीलेपन के लिए वर्तमान समाधानों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

इस सम्मेलन के तकनीकी सत्र के अंर्तगत विशेषयों और विद्वानो ने हरित हाइड्रोजन और स्थायीत्व, स्थायीत्व पर्यावरणीय स्वास्थय के लिए आम नीति, स्थायीत्व आपदा जोखिम की कमी और प्रबंधन के पांरपरिक अभ्यास आदि पर अपने विचार रखे।

एमिटी विश्वविद्यालय में पृथ्वी दिवस 2025 पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल सांइसेस द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें अर्थहूड प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष (ईएसजी) डा अविनाश कुमार, बिसलेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के नार्थ सीएसआर के प्रमुख श्री बायजु कुरियन, भारत सरकार के पूर्व अनुसंधान अधिकारी श्री गजानन माली, एमिटी विश्वविद्यालय के एडिशनल प्रो वाइस चांसलर डा संजीव बंसल और एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंधोपाध्याय ने अपने विचार रखे। एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल सांइसेस की सहायक निदेशक डा रेनू धुप्पर ने अतिथियों का स्वागत किया।

इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल सांइसेस के छात्रों द्वारा नोएडा के रायपुर गांव में सफाई अभियान चलाया गया और पौधा वितरण कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया।

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