सेहत की बात: जागरूकता के जरिये ही निकलेगा दुर्लभ रोग का ईलाज- डॉ सुमित शर्मा, फेलिक्स हॉस्पिटल

-दुर्लभ रोग दिवस पर खास

नोएडा, 27 फरवरी।

दुर्लभ रोग दिवस उन लाखों लोगों की आवाज़ बनकर उभरता है। जो इन बीमारियों से प्रभावित हैं। यह दिन हमें बताता है कि सही जानकारी से दुर्लभ रोगों के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है। जरूरत है कि हम सभी मिलकर इन बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाएं। ताकि दुर्लभ रोग से पीड़ित व्यक्तियों को बेहतर जीवन मिल सके।

फेलिक्स अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुमित शर्मा ने बताया कि दुर्लभ रोग दिवस हर वर्ष फरवरी के आखिरी दिन मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। दुर्लभ रोग वह बीमारिया होती हैं, जो बहुत कम लोगों को प्रभावित करती हैं, लेकिन उनके प्रभाव गंभीर होते हैं। दुनिया भर में हजारों दुर्लभ बीमारियां पहचानी गई हैं, जिनमें से अधिकतर आनुवंशिक होती हैं। चूंकि इन बीमारियों से प्रभावित लोगों की संख्या सीमित होती है। इसलिए इनके अनुसंधान और इलाज पर कम ध्यान दिया जाता है। हीमोफीलिया एक दुर्लभ रोग है। इसका कारण आनुवंशिक विकार है। जिससे रक्त सही से नहीं जमता है। अत्यधिक रक्तस्राव, चोट लगने पर खून का न रुकना, जोड़ों में दर्द इसके लक्षण हैं। क्लॉटिंग फैक्टर इंजेक्शन, फिजियोथेरेपी इसका इलाज है। आनुवंशिक परीक्षण और सतर्कता ही इसका इलाज है। वहीं थैलेसीमिया भी दुर्लभ रोग है। रक्त में हीमोग्लोबिन का असामान्य उत्पादन इसका कारण है। कमजोरी, एनीमिया, हड्डियों का कमजोर होना इसके लक्षण है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन, बोन मैरो ट्रांसप्लांट इसका इलाज है। विवाह पूर्व आनुवंशिक जांच बचाव है। इसके अलावा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी भी दुर्लभ रोग है। आनुवंशिक गड़बड़ी जिससे मांसपेशियां कमजोर के कारण होती है। चलने में कठिनाई, मांसपेशियों में दर्द, संतुलन की समस्या इसके लक्षण है। फिजियोथेरेपी, स्टेरॉयड थेरेपी इसका इलाज है। आनुवंशिक परीक्षण बचाव के लिए जरूरी उपाय है। वहीं प्रोजेरिया भी दुर्लभ रोग है। आनुवंशिक उत्परिवर्तन इसका कारण है। जिससे बुढ़ापे के लक्षण जल्दी दिखते । इसे बालों का झड़ना, त्वचा का पतला होना, हृदय रोग होता है। लक्षणों का प्रबंध ही इसका इलाज है। आनुवंशिक परीक्षण रोकथाम के लिए जरूरी है। दुर्लभ बीमारियों का इलाज महंगा और सीमित होता है। कई मामलों में इनका कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं होता। वैज्ञानिक नई जीन थेरेपी और स्टेम सेल थेरेपी पर काम कर रहे हैं। भारत सरकार ने 2021 में राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति लागू की, जिसमें वित्तीय सहायता और अनुसंधान को बढ़ावा दिया गया है। कुछ राज्य सरकारें दुर्लभ बीमारियों के इलाज में सहायता प्रदान कर रही हैं।

दुर्लभ रोग के लक्षणः

शारीरिक विकास में देरी
असामान्य चेहरे की बनावट
मांसपेशियों में कमजोरी
चयापचय की गड़बड़ी
मिर्गी और दौरे, मानसिक भ्रम
पेशियों की जकड़न
त्वचा पर चकत्ते और सूजन
जोड़ों में दर्द और अकड़न
थकान और कमजोरी
हीमोग्लोबिन की कमी
अत्यधिक रक्तस्राव
त्वचा पर अनियंत्रित नीले/बैंगनी निशान
असामान्य गांठ या सूजन
अचानक वजन कम होना
लंबे समय तक बुखार और थकान

दुर्लभ रोग से बचाव के उपायः

विवाह पूर्व और गर्भावस्था के दौरान आनुवंशिक जांच से कई दुर्लभ बीमारियों को रोका जा सकता है।
शुरुआती लक्षणों की पहचान से उपचार में मदद मिलती है।
दुर्लभ रोग दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इन बीमारियों के बारे में जानकारी देना है, ताकि वे सही समय पर उचित कदम उठा सकें।

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