नोएडा,(नोएडा खबर डॉट कॉम)
दिल्ली-एनसीआर में पिछले कई वर्षों से जारी जानलेवा वायु प्रदूषण से त्रस्त नोएडा के वरिष्ठ पर्यावरणविद् डॉ आनंद आर्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक भावुक और विस्तृत पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने स्वच्छ हवा को जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा बताते हुए तत्काल कार्रवाई की गुहार लगाई है।
आनंद आर्य, जो शिक्षा, कॉर्पोरेट और पर्यावरण क्षेत्र में उच्च उपलब्धियों वाले व्यक्ति हैं, ने पत्र में कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पिछले 15 वर्षों से वायु प्रदूषण का स्तर उनकी उम्र और जीवन गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए स्वच्छ पर्यावरण (विशेषकर स्वच्छ हवा) को मौलिक अधिकार बताया और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का जिक्र किया।
पत्र में उन्होंने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आर्य ने कहा कि CAQM ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए नीतियां तो जारी कीं, लेकिन ये दस्तावेज उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हैं और लक्ष्यों की प्राप्ति पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली। उन्होंने सुझाव दिया कि CAQM को AQI 50 या उससे कम का स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, जैसे 31 दिसंबर 2027 तक। साथ ही, मापनीय कार्ययोजना, जिम्मेदार अधिकारियों के नाम, नियमित समीक्षा और लापरवाही पर व्यक्तिगत दंड की व्यवस्था होनी चाहिए।
आर्य ने कई अनसुलझे मुद्दों पर चिंता जताई, जैसे पराली प्रबंधन, पुराने वाहनों पर प्रतिबंध के बिना प्रभावी सार्वजनिक परिवहन, सड़कों की वैक्यूम सफाई, थर्मल प्लांट उत्सर्जन, PUC मॉनिटरिंग और यमुना की सफाई। उन्होंने पुराने वाहनों पर प्रतिबंध को गरीबों और मध्यम वर्ग पर ‘सजा’ बताया, जबकि सार्वजनिक परिवहन सुधारना सरकार की जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “सब कुछ ज्ञात है – स्रोत, मात्रा, समाधान। कमी है तो सिर्फ राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की।” मुख्य न्यायाधीश से अपील करते हुए उन्होंने अनुच्छेद 142 के तहत पूर्ण न्याय की मांग की।वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर का AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में है, कई इलाकों में 400 से ऊपर दर्ज किया गया है, जिससे GRAP के सख्त प्रतिबंध लागू हैं। स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं और निर्माण कार्यों पर रोक जैसी पाबंदियां लगी हैं। आनंद आर्य जैसे नागरिकों की यह आवाज प्रदूषण के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सरकार और न्यायपालिका से ठोस कार्रवाई की उम्मीद जगाती है।
यह पत्र दिल्ली-एनसीआर के लाखों निवासियों की उस पीड़ा को व्यक्त करता है, जो रोजाना विषैली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। उम्मीद है कि यह उच्च स्तर पर गंभीरता से लिया जाएगा।
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