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दुनिया के सबसे ऊंचे “चेनाब रेल ब्रिज” में क्या है खास बात, पढ़िए यह स्टोरी

नई दिल्ली/कटरा, 6 जून।
चेनाब नदी पर बना रेलवे पुल, जिसे चेनाब रेल ब्रिज के नाम से जाना जाता है, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क ब्रिज है। यह भारत के जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बक्कल और कौरी के बीच चेनाब नदी पर स्थित है। यह पुल भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है, जो कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। यह इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है, जिसे भारतीय इंजीनियरों ने चुनौतीपूर्ण भौगोलिक और सामरिक परिस्थितियों में बनाया है।
चेनाब रेल ब्रिज की ऊंचाई नदी तल से 359 मीटर, जो पेरिस के एफिल टावर (324 मीटर) से 35 मीटर ऊंचा और दिल्ली की कुतुब मीनार (73 मीटर) से लगभग 5 गुना ऊंचा है। इसकी लंबाई 1,315 मीटर, जिसमें मुख्य मेहराब (आर्क) की लंबाई 467 मीटर है, जो ब्रॉड गेज रेलवे के लिए सबसे लंबा मेहराब है। पुल में 17 खंड (स्पैन) हैं, जो इसे मजबूती और स्थिरता प्रदान करते हैं।इसके निर्माण में लगभग 28,660 टन स्ट्रक्चरल स्टील का उपयोग, जिसमें से 16,000 टन भिलाई स्टील प्लांट से आपूर्ति की गई। 66,000 क्यूबिक मीटर से अधिक कंक्रीट और 10 लाख क्यूबिक मीटर अर्थवर्क का उपयोग, 584 किलोमीटर वेल्डिंग, जो जम्मू तवी से दिल्ली की दूरी के बराबर है। इसमे कॉन्कर बोल्ट और केबल एंकर पुल को अतिरिक्त मजबूती देने के लिए उपयोग किए गए।
  1. डिजाइन और मजबूती:
    • भूकंप प्रतिरोध: यह पुल रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता तक के भूकंप और भूकंपीय जोन-V की स्थिति को झेल सकता है।

    • हवा प्रतिरोध: 266 किलोमीटर प्रति घंटा की गति वाली तूफानी हवाओं को सहने के लिए डिजाइन किया गया।

    • विस्फोट प्रतिरोध: DRDO के परामर्श से ‘ब्लास्ट लोड’ के लिए डिजाइन किया गया, जो 40 टन TNT के बराबर विस्फोट को झेल सकता है।

    • जीवनकाल: 120 वर्ष।

    • स्वास्थ्य निगरानी: अत्याधुनिक इंस्ट्रूमेंटेशन के माध्यम से व्यापक स्वास्थ्य निगरानी और चेतावनी प्रणालियां स्थापित।

  2. निर्माण और लागत:
    • निर्माण शुरू: नवंबर 2017 में मुख्य मेहराब का काम शुरू हुआ, हालांकि परियोजना को 2002 में राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया गया था।

    • लागत: लगभग 28,000 करोड़ रुपये।

    • निर्माण समय: 10 साल से अधिक, मेहराब बंदी का कार्य 5 अप्रैल 2021 को पूरा हुआ और डेक क्लोजर समारोह 13 अगस्त 2022 को हुआ।

  3. सुरक्षा और रणनीतिक महत्व:
    • सुरक्षा: आतंकवादी हमलों और बाहरी खतरों से बचाव के लिए विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए, क्योंकि यह पुल पाकिस्तान की हवाई सीमा से केवल 65 किलोमीटर दूर है।

    • रणनीतिक महत्व: यह पुल सेना के लिए रसद और आवागमन को आसान बनाता है, जिससे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती में सुधार होता है।

  4. उद्घाटन:
    • 6 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुल का उद्घाटन किया और इसे देश को समर्पित किया। इस दौरान दो वंदे भारत ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई गई, जो कटरा और श्रीनगर के बीच चलेंगी।

  5. अन्य विशेषताएं:
    • गति: ट्रेनें इस पुल पर अधिकतम 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल सकती हैं, हालांकि सामान्य संचालन 30 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से होगा।

    • वास्तुकला: यह इंद्रधनुष के आकार का आर्क ब्रिज है, जो बादलों के ऊपर दिखाई देता है और इसकी तस्वीरें किसी पेंटिंग से कम नहीं लगतीं।

    • पहला ट्रायल: 21 जून 2024 को पहली बार इस पुल पर ट्रेन का ट्रायल रन किया गया।

महत्व:
  • कनेक्टिविटी: यह पुल कटरा को बनिहाल से जोड़ता है, जिससे कश्मीर घाटी तक रेल यात्रा आसान हो गई है। यह क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देगा।

  • इंजीनियरिंग उपलब्धि: यह भारत में पहली बार ‘फेज़्ड ऐरे अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग’ मशीन का उपयोग करके वेल्ड परीक्षण किया गया।

  • पर्यटन: इसकी भव्यता और ऊंचाई इसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाती है।

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