लखनऊ, 15 जून।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने विद्युत नियामक आयोग की निजीकरण संबंधी अवैधानिक कार्यवाही और पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा हजारों कर्मचारियों के मनमाने स्थानांतरण के खिलाफ 16 जून 2025 को प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
16 जून को नियामक आयोग पर मौन विरोध प्रदर्शन
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने ऐलान किया है कि 16 जून को शाम 4 बजे लखनऊ में विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय पर मौन विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। यह प्रदर्शन पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण के लिए नियुक्त ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन की अवैध नियुक्ति और नियामक आयोग की इस प्रक्रिया में संलिप्तता के विरोध में होगा।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने ऐलान किया है कि 16 जून को शाम 4 बजे लखनऊ में विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय पर मौन विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। यह प्रदर्शन पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण के लिए नियुक्त ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन की अवैध नियुक्ति और नियामक आयोग की इस प्रक्रिया में संलिप्तता के विरोध में होगा।
संघर्ष समिति के अनुसार, 13 जून 2025 को पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष और निदेशक (वित्त) निधि नारंग ने नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार के साथ गुप्त बैठक की, जिसमें ग्रांट थॉर्टन ने निजीकरण हेतु आरएफपी दस्तावेज प्रस्तुत किए। समिति ने इस नियुक्ति को पूरी तरह अवैध करार दिया है, क्योंकि नियामक आयोग के अध्यक्ष को इसकी अवैधता की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने प्रस्तुतीकरण की अनुमति दी।
नैतिकता का उल्लंघन
संघर्ष समिति ने नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। श्री अरविंद कुमार, जो 2020 में पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष थे, ने 6 अक्टूबर 2020 को समिति के साथ लिखित समझौता किया था, जिसमें स्पष्ट था कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण नहीं होगा और भविष्य में कोई भी निजीकरण कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना नहीं किया जाएगा। इस समझौते पर उनके हस्ताक्षर हैं। इसके बावजूद, निजीकरण के आरएफपी दस्तावेज पर अभिमत देने की उनकी कार्यवाही को समिति ने अनैतिक बताया है।
मनमाने स्थानांतरण के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन
संघर्ष समिति ने पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन पर 200 दिनों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे बिजली कर्मचारियों को दबाने के लिए हजारों कर्मचारियों का मनमाना स्थानांतरण करने का आरोप लगाया है। समिति का कहना है कि भीषण गर्मी में बिना किसी नीति के किए गए ये स्थानांतरण प्रदेश की बिजली व्यवस्था को ध्वस्त करने की साजिश हैं। इसके विरोध में 16 जून को प्रदेश के सभी जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
आम जनता और कर्मचारियों से अपील
संघर्ष समिति ने बिजली कर्मचारियों और आम जनता से इस जनविरोधी नीति के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। समिति ने कहा कि यह आंदोलन न केवल कर्मचारियों के हितों, बल्कि प्रदेश की जनता को सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए है।
संघर्ष समिति ने बिजली कर्मचारियों और आम जनता से इस जनविरोधी नीति के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। समिति ने कहा कि यह आंदोलन न केवल कर्मचारियों के हितों, बल्कि प्रदेश की जनता को सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए है।