

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बिजली के निजीकरण के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से पावर सेक्टर को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाए रखने की अपील की है। लखनऊ में आयोजित फेडरल काउंसिल की बैठक में फेडरेशन ने चेतावनी दी कि यदि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोका नहीं गया, तो देशभर के बिजली इंजीनियर और कर्मचारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सेक्रेटरी जनरल पी. रत्नाकर राव, पैट्रन के. अशोक राव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कार्तिकेय दुबे, संजय ठाकुर सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए।
फेडरेशन ने उपभोक्ताओं से बिजली कर्मियों के आंदोलन का समर्थन करने और निजीकरण को रोकने में सहयोग करने की अपील की।फेडरेशन ने उड़ीसा के निजीकरण के असफल प्रयोगों का हवाला देते हुए कहा कि वहां एईएस, रिलायंस पावर और टाटा पावर की विफलता के बाद भी निजीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल ही में उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने टाटा पावर की चार कंपनियों को उपभोक्ता सेवाओं में विफलता के लिए नोटिस जारी किया है।उत्तर प्रदेश में निजीकरण को “मेगा स्कैम” करार देते हुए फेडरेशन ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों का मूल्यांकन किए बिना निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 131 का खुला उल्लंघन है। फेडरेशन ने इसे मुख्यमंत्री की “जीरो टॉलरेंस” नीति की अवहेलना बताया।
महाराष्ट्र में पैरलल लाइसेंस के नाम पर बड़े औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में निजीकरण की कड़ी निंदा करते हुए फेडरेशन ने इसे “मुनाफे का निजीकरण” बताया और इस फैसले को रद्द करने की मांग की। साथ ही, टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली और एसेट मॉनेटाइजेशन के नाम पर पारेषण क्षेत्र के निजीकरण को रोकने की मांग की गई।फेडरेशन ने राज्यों के बिजली उत्पादन क्षेत्र में ज्वाइंट वेंचर कंपनियों के गठन का विरोध करते हुए कहा कि इससे बिजली की लागत बढ़ेगी, जो उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। उत्तर प्रदेश में ओबरा डी और अनपरा ई परियोजनाओं को ज्वाइंट वेंचर से हटाकर राज्य विद्युत उत्पादन निगम को सौंपने की मांग की गई।
उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाइयों की निंदा करते हुए फेडरेशन ने हजारों कर्मियों के स्थानांतरण, फेसियल अटेंडेंस के नाम पर वेतन रोकने, संगठन के पदाधिकारियों पर विजिलेंस जांच और संविदा कर्मियों की छंटनी जैसे कदमों को वापस लेने की मांग की।बैठक में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के विद्युत अभियंता संघों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।