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नोएडा में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला से 10 दिन तक डिजिटल अरेस्ट साइबर क्रिमिनल ने किया डेढ़ करोड़ का फ्रॉड

-10 दिनों तक ऐसे ऐंठे रुपये

नोएडा। (नोएडा खबर डॉट कॉम)

नोएडा में साइबर अपराधियों ने एक 80 वर्षीय विधवा महिला, चित्रा सिंह, को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 10 दिनों तक मानसिक रूप से प्रताड़ित कर डेढ़ करोड़ रुपये की ठगी की। यह घटना 8 जुलाई 2025 को शुरू हुई और साइबर ठगों ने सुनियोजित तरीके से पीड़िता को अपने जाल में फंसाया। इस मामले ने एक बार फिर साइबर फ्रॉड के बढ़ते खतरे को उजागर किया है, खासकर बुजुर्गों को निशाना बनाने की प्रवृत्ति को।

10 दिनों तक ठगी का सिलसिला:

कैसे ट्रांसफर कराए रुपये
साइबर ठगों ने चित्रा सिंह को 10 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा, जिस दौरान उन्होंने व्हाट्सएप कॉल और फर्जी दस्तावेजों के जरिए मानसिक दबाव बनाया।
ठगी का सिलसिला

पहला दिन (8 जुलाई 2025): ठगों ने चित्रा को एक अनजान नंबर से कॉल किया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई पुलिस का कर्मचारी बताया। उन्होंने दावा किया कि चित्रा के आधार कार्ड का उपयोग मानव अंगों की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े रैकेट में हुआ है, जिसका कथित तौर पर नरेश गोयल से संबंध है। डराने के लिए फर्जी गिरफ्तारी वारंट की बात की गई और उन्हें जेल जाने का भय दिखाया गया।

दूसरा दिन:
ठगों ने चित्रा को व्हाट्सएप पर फर्जी सीबीआई अधिकारियों से जोड़ा। इन “अधिकारियों” ने जांच के नाम पर चित्रा से उनके बैंक खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), और अन्य वित्तीय विवरण मांगे। उन्हें बताया गया कि उनकी रकम की जांच हो रही है और प्रक्रिया पूरी होने पर पैसा वापस मिल जाएगा।

तीसरे से पांचवें दिन:

ठगों ने लगातार व्हाट्सएप कॉल के जरिए चित्रा को डराया और उन्हें किसी से बात करने या घर से बाहर निकलने से मना किया। इस दौरान, उन्होंने चित्रा से छोटी-छोटी रकम ट्रांसफर करवानी शुरू की, यह कहकर कि यह “जांच प्रक्रिया” का हिस्सा है। पहले चरण में लगभग 20-30 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए गए।

छठे से आठवें दिन:

ठगों ने दबाव बढ़ाया और चित्रा को अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़ने के लिए मजबूर किया। इस दौरान, उन्होंने करीब 50-60 लाख रुपये विभिन्न खातों में RTGS के जरिए ट्रांसफर करवाए। ठगों ने फर्जी दस्तावेज और पुलिस स्टेशन का बैकग्राउंड दिखाकर चित्रा को विश्वास दिलाया कि यह एक वैध प्रक्रिया है।

नवें और दसवें दिन:

अंतिम चरण में, ठगों ने चित्रा से बाकी बची रकम, कुल मिलाकर डेढ़ करोड़ रुपये, अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा ली। ये खाते देश के विभिन्न हिस्सों, जैसे राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, कोलकाता, और कर्नाटक में थे। ठगों ने यह दावा किया कि रकम “सुरक्षित खातों” में जमा की जा रही है और जांच पूरी होने पर वापस मिल जाएगी।
ठगी का खुलासा: दसवें दिन के बाद, जब ठगों ने और रकम मांगने की कोशिश की, तो चित्रा को शक हुआ। उन्होंने अपने परिवार से संपर्क किया, जिसके बाद ठगी का अहसास हुआ। चित्रा ने तुरंत साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज की, और पुलिस ने एक आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
साइबर फ्रॉड का गंभीर खतरा

यह घटना नोएडा में डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों का हिस्सा है। 2024 में गौतमबुद्ध नगर में साइबर ठगी के 25,360 मामले दर्ज हुए, जिनमें 259 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी हुई। डिजिटल अरेस्ट एक नई और खतरनाक तकनीक है, जिसमें ठग फर्जी पुलिस, सीबीआई, या अन्य सरकारी अधिकारियों के रूप में कॉल करते हैं और पीड़ित को डराकर पैसे ट्रांसफर करवाते हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार, 2025 में सितंबर तक साइबर ठगों ने 11,333 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है।
साइबर फ्रॉड से बचने के उपाय

साइबर ठगी से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतें:

अनजान कॉल्स पर भरोसा न करें: कोई भी जांच एजेंसी फोन या वीडियो कॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। कानून में “डिजिटल अरेस्ट” जैसा कोई प्रावधान नहीं है।

निजी जानकारी साझा न करें:

आधार कार्ड, बैंक खाता, या ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी कभी भी फोन पर साझा न करें।

कॉल रिकॉर्ड करें:

संदिग्ध कॉल आने पर उसकी रिकॉर्डिंग करें और तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
परिवार या पुलिस से संपर्क करें: अगर कोई आपको डराने या धमकाने की कोशिश करता है, तो तुरंत अपने परिवार या स्थानीय पुलिस से संपर्क करें।

साइबर जागरूकता:

साइबर ठगी के नए तरीकों के बारे में अपडेट रहें।
सोशल मीडिया, समाचार, और सरकारी पोर्टल्स पर साइबर सुरक्षा से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
बैंक खातों की निगरानी: अपने बैंक खातों और लेनदेन पर नियमित नजर रखें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत शिकायत करें।
फर्जी दस्तावेजों से सावधान: ठग अक्सर फर्जी वारंट, कोर्ट ऑर्डर, या सरकारी लोगो का उपयोग करते हैं। इनकी सत्यता स्थानीय पुलिस या संबंधित एजेंसी से जांचें।
नोएडा पुलिस की कार्रवाई और अपील

नोएडा साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया है और ठगी की रकम वाले खातों की जांच शुरू की है। डीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान कॉल्स पर भरोसा न करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत शिकायत करें। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट के जरिए पूछताछ नहीं करती।

बढ़ता खतरा
चित्रा सिंह के साथ हुई यह ठगी साइबर अपराधियों की क्रूर और सुनियोजित रणनीति को दर्शाती है। खासकर बुजुर्ग लोग, जो तकनीकी जानकारी में कमजोर हो सकते हैं, इन ठगों का आसान निशाना बन रहे हैं। यह जरूरी है कि समाज में साइबर जागरूकता फैलाई जाए और लोग अपने आसपास के लोगों, खासकर बुजुर्गों को, इस तरह के फ्रॉड से बचाने के लिए शिक्षित करें। अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को ऐसी कॉल आती है, तो घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें। आपकी सतर्कता ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है।

वर्ष 2024 में गौतमबुद्ध नगर में 25,360 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए और 259 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी हुई, तथ्यात्मक प्रतीत होता है।

गौतमबुद्ध नगर में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़े हैं। 2022 में 14,000 मामले दर्ज हुए, जो 2023 में बढ़कर 23,172 हो गए, और 2024 में यह संख्या 25,360 तक पहुंच गई।
ठगी की रकम भी 2023 में 107 करोड़ रुपये थी, जो 2024 में डेढ़ गुना बढ़कर 259 करोड़ 84 लाख रुपये से अधिक हो गई।

यह डेटा नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) से लिया गया है, जो साइबर अपराधों की शिकायतों को ट्रैक करता है। गौतमबुद्ध नगर इस मामले में उत्तर प्रदेश में शीर्ष शहरों में शामिल है। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि NCRP पर दर्ज शिकायतों में से केवल 1% मामलों में ही औपचारिक FIR दर्ज होती है, और 2022 से 2024 के बीच गौतमबुद्ध नगर में कुल 62,773 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से केवल 666 मामलों में FIR दर्ज की गई।
तथ्य जांच के लिए अतिरिक्त बिंदु:
यह आंकड़े NCRP जैसे आधिकारिक पोर्टल से लिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, डीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव के हवाले से भी इसकी पुष्टि की गई है, जो इसे और विश्वसनीय बनाता है।
अन्य स्रोतों से तुलना:
अन्य समाचार स्रोतों में गौतमबुद्ध नगर के लिए इतने विस्तृत आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन देशव्यापी साइबर अपराध के आंकड़े (जैसे 2024 में 22,845 करोड़ रुपये की ठगी,) इस बात का समर्थन करते हैं कि साइबर अपराधों में वृद्धि हुई है, जो स्थानीय आंकड़ों के अनुरूप है।
सीमाएं:
यह आंकड़ा केवल उन मामलों पर आधारित है जो NCRP पर दर्ज किए गए। वास्तविक ठगी की रकम और मामले इससे अधिक हो सकते हैं, क्योंकि कई पीड़ित शिकायत दर्ज नहीं करते। साथ ही, ठगी की रकम में शेयर ट्रेडिंग, क्रिप्टोकरेंसी, और डिजिटल अरेस्ट जैसे बड़े फ्रॉड शामिल हैं, जो रकम को बढ़ाते हैं।

2024 में गौतमबुद्ध नगर में 25,360 साइबर अपराध के मामले और 259 करोड़ रुपये की ठगी का आंकड़ा तथ्यात्मक है और विश्वसनीय स्रोतों द्वारा समर्थित है। फिर भी, लोगों को सलाह दी जाती है कि वे साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत शिकायत 1930 या www.cybercrime.gov.in पर करें।

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