स्पेशल स्टोरी : उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा मित्र पहल: गौतमबुद्धनगर समेत 28 जनपदों में युवाओं को जोड़ने की मुहिम शुरू

लखनऊ,(नोएडा खबर डॉट कॉम)

भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की ‘सड़क सुरक्षा मित्र (SSM)’ पहल को उत्तर प्रदेश में सक्रिय रूप से लागू करने के लिए परिवहन आयुक्त बी एन सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को समयबद्ध कार्ययोजना के लिए पत्र जारी किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य MYBharat प्लेटफॉर्म के माध्यम से 18-28 वर्ष के युवाओं को सड़क सुरक्षा कार्यों से जोड़ना है, ताकि दुर्घटनाओं और मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश के 28 चयनित जनपदों में यह पहल लागू होगी।

स्वयंसेवकों का चयन और प्रशिक्षण

SSM कार्यक्रम के तहत 18-28 वर्ष के उन युवाओं को चुना जाएगा, जिनके खिलाफ कोई यातायात चालान लंबित न हो। सामान्य स्वयंसेवकों के लिए एक सप्ताह का प्रशिक्षण (फर्स्ट-एड सहित) और सिविल इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए 15 दिन का रोड सेफ्टी ऑडिट प्रशिक्षण निर्धारित है।

स्वयंसेवकों की भूमिकाएं शामिल होंगी:
क्रैश-सीन समन्वय, ब्लैक-स्पॉट अध्ययन, रोड सेफ्टी ऑडिट, और जागरूकता अभियान। eDAR, Sanjaya, और Field Perception Survey जैसे टूल्स का उपयोग अनिवार्य होगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को प्रमाण-पत्र और Good Samaritan मान्यता/पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

संस्थागत व्यवस्था और समयरेखा

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 215B के तहत प्रत्येक जनपद में जिला सड़क सुरक्षा समिति (DRSC) इस कार्यक्रम की देखरेख करेगी। MoRTH के रोडमैप में T1-T12 माइलस्टोन्स (जैसे MYBharat पर DM की ऑनबोर्डिंग, DRSC बैठक, स्वयंसेवक प्रशिक्षण, और फील्ड एंगेजमेंट) निर्धारित हैं। कार्यक्रम के अंत में जिलाधिकारी MoRTH और SCCoRS को समरी रिपोर्ट भेजेंगे।

परिवहन आयुक्त बी एन सिंह ने सभी जिलाधिकारियों से DRSC के माध्यम से नोडल व्यवस्था, स्वयंसेवक चयन-प्रशिक्षण, और मासिक KPI-आधारित समीक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है।

परिवहन आयुक्त का बयान

परिवहन आयुक्त बी एन सिंह ने कहा, “सड़क सुरक्षा मित्र पहल युवाओं की ऊर्जा को सड़क सुरक्षा के ठोस परिणामों में बदलने का राष्ट्रीय प्रयास है। शून्य-जोखिम और शून्य-घर्षण की नीति के तहत, हर जिला DRSC के माध्यम से क्रैश-सीन मैनेजमेंट, ब्लैक-स्पॉट ऑडिट, और जागरूकता की कार्ययोजना लागू करे। इससे दुर्घटनाएं और मृत्यु दर कम होगी, आपात प्रतिक्रिया समय सुधरेगा, और नागरिकों की सुरक्षा बढ़ेगी।”

उत्तर प्रदेश के चयनित 28 जनपद

कानपुर नगर, बुलंदशहर, प्रयागराज, आगरा, उन्नाव, हरदोई, मथुरा, अलीगढ़, फतेहपुर, लखनऊ, सीतापुर, बरेली, गोरखपुर, कुशीनगर, बाराबंकी, जौनपुर, बदायूं, बिजनौर, गौतमबुद्धनगर, सहारनपुर, आजमगढ़, मैनपुरी, फिरोजाबाद, रायबरेली, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, और बस्ती।

अपेक्षित प्रभाव

इस पहल से संरचित प्रशिक्षण, फील्ड-स्टडी, और डेटा-आधारित रिपोर्टिंग के जरिए दुर्घटनाओं और गंभीर चोटों में कमी आएगी। आपातकालीन प्रतिक्रिया और साइट प्रबंधन में सुधार होगा, साथ ही युवा-जन सहभागिता बढ़ेगी। दीर्घकाल में यह जिलास्तरीय सड़क सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करेगी।

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