नोएडा ( नोएडा खबर डॉट कॉम)
एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ रिहेबिलिटेशन साइंसेस ने “ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार वाले वयस्कों के लिए सकारात्मक व्यवहार समर्थन” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर का सीआरई कार्यक्रम आयोजित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ एमिटी विश्वविद्यालय के एडिशनल प्रो वाइस चांसलर डॉ. संजीव बंसल, संस्थान के वरिष्ठ निदेशक डॉ. एस.के. श्रीवास्तव और निदेशक डॉ. जयंती पुजारी ने किया। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों से लगभग 235 प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया।
डॉ. संजीव बंसल ने अपने संबोधन में कहा कि यह कार्यक्रम ऑटिज्म से प्रभावित लोगों के सशक्तिकरण के लिए सकारात्मक व्यवहार समर्थन के सिद्धांतों को लागू करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने सकारात्मक मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से समाज में समावेशन को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
डॉ. एस.के. श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य सकारात्मक व्यवहार समर्थन को एक साक्ष्य-आधारित, व्यक्ति-केंद्रित दृष्टिकोण के रूप में समझना और इसे पारंपरिक व्यवहार प्रबंधन से अलग करना है। इसके साथ ही, ऑटिज्म से ग्रस्त वयस्कों में चुनौतीपूर्ण व्यवहारों के कारणों का पता लगाने के लिए कार्यात्मक व्यवहार आकलन और समावेशन, विकल्प, भागीदारी जैसे सिद्धांतों को समझना भी शामिल था।
डॉ. जयंती पुजारी ने ऑटिज्म से जुड़े मिथकों को दूर करते हुए कहा कि ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का एक अलग रूप है। उन्होंने ऑटिज्म को लेकर भ्रांतियों, जैसे यह केवल बचपन की स्थिति या पुरुषों तक सीमित बीमारी होने, को स्पष्ट किया और जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम में एमिटी के छात्र श्री अमीन नकवी और सनराइज लर्निंग सेंटर, नोएडा के छात्र श्री ओजस श्रीवास्तव ने अपने विचार साझा किए। तकनीकी सत्रों में डॉ. दीपिका श्रीवास्तव और सुश्री निष्ठा कुमार ने “विचार से कार्य तक – एएसडी से पीड़ित वयस्कों के परिवारों और शिक्षकों को सकारात्मक व्यवहार सहायता” पर, जबकि समरविले स्कूल की डॉ. डायना लिल फिलिप ने “एएसडी से ग्रस्त वयस्कों में इकोलिया और अप्रासंगिक हँसी को नियंत्रित करना” विषय पर व्याख्यान दिया।
