नोएडा,(नोएडा खबर डॉट कॉम)
उत्तर प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त व नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक कुमार की अध्यक्षता में नोएडा प्राधिकरण की 219वीं बोर्ड बैठक शुक्रवार को प्राधिकरण सभागार में संपन्न हुई। बैठक में आलोक कुमार (अपर मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास विभाग) ऑनलाइन जुड़े, जबकि ग्रेटर नोएडा के सीईओ रवि कुमार, नोएडा के सीईओ लोकंश एम और यमुना एक्सप्रेसवे के सीईओ राकेश कुमार सिंह बोर्ड रूम से शामिल हुए। कुल 37 प्रस्तावों पर चर्चा के बाद कई अहम फैसले लिए गए, जो फ्लैट खरीदारों को राहत देने से लेकर पर्यावरण संरक्षण और डिजिटल पारदर्शिता तक फैले हुए हैं।
मुख्य फैसले:
फ्लैट बायर्स की खुशहाली का नया दौर
बैठक का सबसे बड़ा फोकस पुरानी अटकी रियल एस्टेट परियोजनाओं (लिगेसी स्टॉल्ड प्रोजेक्ट्स) पर रहा। 21 दिसंबर 2023 के शासनादेश के तहत कुल 57 परियोजनाओं में से 35 ने अब तक लाभ उठा लिया है, जो डेवलपर्स का लगभग 60% हिस्सा है। इनमें 526.13 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं, जिससे 5,756 फ्लैट बायर्स के लिए रजिस्ट्री का रास्ता साफ हो गया। वर्तमान तक 3,724 बायर्स की रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है। बोर्ड ने साफ कहा कि बाकी 22 परियोजनाओं (जिनमें 10 ने सहमति के बावजूद पेमेंट नहीं किया, 13 ने आंशिक जमा किया और 35 ने कुछ नहीं किया) के डेवलपर्स को अब कोई छूट नहीं मिलेगी। प्राधिकरण बकाया वसूली के लिए सख्त कदम उठाएगा। यह फैसला बायर्स के हितों को प्राथमिकता देते हुए डेवलपर्स की लेटलतीफी पर लगाम लगाने वाला है।
निविदा प्रक्रिया में डिजिटल क्रांति
प्राधिकरण की निविदाओं को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए ‘प्रहरी सॉफ्टवेयर’ के साथ ‘प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग’, ‘कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट’ और ‘चाणक्य सॉफ्टवेयर’ को एकीकृत करने का अनुमोदन मिला। इससे परियोजना की शुरुआत से भुगतान तक सब कुछ ऑनलाइन ट्रैक होगा। तकनीकी मूल्यांकन, माइलस्टोन प्रगति (भौतिक व वित्तीय) और भुगतान में स्पष्टता आएगी, जिससे अधिकारियों को सिविल, बिजली, जलापूर्ति जैसे विभागों की निगरानी आसान हो जाएगी।
ग्रुप हाउसिंग में सख्ती: निर्माण न हो तो प्लॉट रद्द
ग्रुप हाउसिंग भूखंडों पर 12 साल की अधिकतम समयसीमा (सशुल्क वृद्धि सहित) के बाद भी निर्माण न करने पर सभी रिक्त प्लॉट रद्द करने का फैसला हुआ। हालांकि, जहां निर्माण पूरा या चल रहा है, वहां 6 महीने का अंतिम मौका दिया जाएगा। उसके बाद कोई छूट नहीं। यह कदम नोएडा के विकास को गति देने और बेकार पड़े प्लॉट्स पर लगाम लगाने का प्रयास है।
कचरा प्रबंधन को मजबूती: 300 टीपीडी प्लांट की मंजूरी
नोएडा के सेक्टरों व गांवों से निकलने वाले म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट के निपटारे के लिए 300 टन प्रति दिन (टीपीडी) क्षमता का इंटीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने का प्रस्ताव पास हो गया। यह कदम शहर को स्वच्छ और सतत बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
प्रदूषण नियंत्रण: एसटीपी की रेट्रोफिटिंग पर 87.6 करोड़ खर्च
एनजीटी व सीपीसीबी के दिशानिर्देशों के अनुपालन में सेक्टर-50, 54, 123 व 168 के चार एसटीपी (कुल 163 एमएलडी) की रेट्रोफिटिंग को सैद्धांतिक मंजूरी मिली। लागत करीब 87.6 करोड़ रुपये। 24 मौजूदा ट्रिटमेंट प्लांट्स में फिक्स्ड बेड बायोफिल्म एक्टिवेटेड स्लज (एफबीएएस) तकनीक लगाई जाएगी, जो सीपीएचईईओ मानकों पर खरी उतरेगी। नीरी की सिफारिश पर 11 प्लांट्स पर नए एसटीपी बनेंगे। यह पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी कदम है।अन्य महत्वपूर्ण मंजूरियां
- पुलिस थाने का आवंटन: सेक्टर-13 में 4,000 वर्ग मीटर प्लॉट (एफ-1) पुलिस थाने के लिए निशुल्क आवंटित, जो जून 2025 में पहले ही मंजूर हो चुका था—बोर्ड ने पुनः पुष्टि की।
- यूनिफाइड रेगुलेशन 2025: कॉलेज, सीनियर सेकेंडरी स्कूल व नर्सिंग होम जैसे संस्थागत प्लॉट्स के लिए योजना विवरणिका को मंजूरी, जो नई नीति को शामिल करती है।