ग्रेटर नोएडा, (नोएडा खबर डॉट कॉम)
गौतमबुद्धनगर की बेटी शेरी सिंह ने वैश्विक मंच पर भारत का परचम लहराते हुए फिलीपींस के मनीला में आयोजित 48वें मिसेज़ यूनिवर्स 2025 का खिताब अपने नाम कर लिया। यह पहला अवसर है जब भारत ने इस प्रतिष्ठित सौंदर्य प्रतियोगिता में ताज हासिल किया है। शेरी की इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल जिले, बल्कि पूरे देश को गर्व से सराबोर कर दिया है।
शेरी सिंह, जो स्वर्गीय महेंद्र भाटी ‘बब्बर शेर’ (पूर्व विधायक, गौतमबुद्धनगर) की पौत्री और पूर्व विधायक दादरी समीर भाटी की पुत्री हैं, ने 120 देशों की प्रतिभागियों को पछाड़कर यह खिताब जीता। मनीला के ओकाडा में 8-9 अक्टूबर को हुए ग्रैंड फिनाले में शेरी ने अपनी बुद्धिमत्ता, शालीनता और सामाजिक मुद्दों पर गहरी सोच से जजों को प्रभावित किया। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर जोर देते हुए अपनी प्रस्तुति दी, जिसने उन्हें सेंट पीटर्सबर्ग, फिलीपींस और रूस की प्रतियोगियों से आगे रखा।
शेरी का प्रेरणादायक सफर
शेरी सिंह, जो मिसेज़ इंडिया 2025 का खिताब पहले ही जीत चुकी थीं, ने इस वैश्विक मंच पर भारतीय नारी की ताकत और संवेदनशीलता का अनूठा संगम प्रस्तुत किया। एक मां और पत्नी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए, शेरी ने साबित किया कि दृढ़ संकल्प के सामने कोई बाधा बड़ी नहीं। सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता और प्रेरणादायक पोस्ट ने पहले ही हजारों लोगों को प्रभावित किया था। अपनी जीत के बाद शेरी ने कहा, “यह ताज हर उस भारतीय महिला को समर्पित है जो अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखती है।”
गौतमबुद्धनगर में जश्न का माहौल
शेरी की जीत की खबर से गौतमबुद्धनगर में उत्साह की लहर दौड़ गई। स्थानीय निवासियों और नेताओं ने इसे जिले की बेटी की असाधारण उपलब्धि करार दिया। उनके पिता समीर भाटी ने गर्व से कहा, “शेरी ने हमारे परिवार और जिले का मान बढ़ाया है। यह जीत हमारी सांस्कृतिक विरासत और नारी शक्ति का प्रतीक है।” सामाजिक संगठनों और युवाओं ने शेरी को ‘जिले की शेरनी’ कहकर बधाई दी।मिसेज़ यूनिवर्स 2025: मुख्य आकर्षण
- आयोजन: 48वां मिसेज़ यूनिवर्स, ओकाडा मनीला, फिलीपींस
- विजेता: शेरी सिंह (भारत)
- उपविजेता: सेंट पीटर्सबर्ग (प्रथम), फिलीपींस (द्वितीय), रूस (तृतीय)
- महत्व: भारत की पहली मिसेज़ यूनिवर्स जीत
- फोकस: महिलाओं का सशक्तिकरण, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता
शेरी सिंह की इस जीत ने गौतमबुद्धनगर को वैश्विक मंच पर नई पहचान दी है। यह उपलब्धि नई पीढ़ी, खासकर युवतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।