-BJP सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र,
– पांडवों की प्रतिमाएं लगाने का भी सुझाव
नई दिल्ली,(नोएडा खबर डॉट कॉम)
दिल्ली को उसके प्राचीन वैभव से जोड़ने के उद्देश्य से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी का नाम ‘इंद्रप्रस्थ’ करने की मांग की है। यह पत्र दिल्ली के स्थापना दिवस पर जारी किया गया, जब 1956 में दिल्ली को संघ राज्य क्षेत्र घोषित किया गया था।
खंडेलवाल ने पत्र में दिल्ली के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह शहर महाभारत काल में पांडवों द्वारा स्थापित इंद्रप्रस्थ ही है, जो धर्म, न्याय और शासन के प्रतीक के रूप में जाना जाता था।
पत्र में लिखा पूरा ब्यौरा
प्रवीण खंडेलवाल, जो चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद हैं, ने अपने पत्र में दिल्ली के इतिहास को महाभारत युग से जोड़ते हुए लिखा है: “दिल्ली का इतिहास न केवल हजारों वर्ष पुराना है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता का जीवंत प्रतीक है। पांडवों द्वारा यमुना नदी के तट पर स्थापित इंद्रप्रस्थ शहर की गौरवपूर्ण परंपरा दिल्ली में ही विद्यमान है। यह शहर समृद्धि, संगठन और सांस्कृतिक वैभव के लिए प्रसिद्ध था, जहां धर्म, न्याय और जनकल्याण पर आधारित शासन व्यवस्था थी।”
सांसद ने तर्क दिया कि अन्य प्राचीन शहरों जैसे अयोध्या, काशी, प्रयागराज, उज्जैन और वाराणसी को उनके मूल नामों से पुनर्स्थापित किया गया है, तो दिल्ली को भी ‘इंद्रप्रस्थ’ नाम से सम्मानित किया जाना चाहिए। उन्होंने लिखा: “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के दृष्टिकोण के अनुरूप, यदि देश अन्य प्राचीन शहरों को उनके मूल स्वरूप में लौटा रहा है, तो दिल्ली क्यों नहीं? इंद्रप्रस्थ नाम से दिल्ली न केवल सत्ता का केंद्र बनेगी, बल्कि धर्म, नैतिकता और राष्ट्रवाद का प्रतीक भी होगी। यह आने वाली पीढ़ियों को भारतीय सभ्यता की आत्मा से जोड़ेगी।”
अन्य प्रमुख सुझाव:
पत्र में खंडेलवाल ने दिल्ली के प्रमुख स्थानों के नाम बदलने और सांस्कृतिक प्रतीकों को स्थापित करने के निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम ‘इंद्रप्रस्थ जंक्शन’ करने की मांग।
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का नाम ‘इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट’ करने का प्रस्ताव।
दिल्ली के प्रमुख स्थानों पर पांडवों की भव्य प्रतिमाएं स्थापित करने की सिफारिश, ताकि ये नैतिकता, शासन और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक बनें।
खंडेलवाल ने जोर दिया कि ये बदलाव न केवल ऐतिहासिक न्याय होंगे, बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देंगे और दिल्ली की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा, “इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट और जंक्शन जैसे नाम विश्व पटल पर भारत की प्राचीन विरासत को प्रदर्शित करेंगे।”
पत्र की प्रतियां किसे भेजीं:
सांसद ने पत्र की प्रतियां दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी भेजी हैं। यह कदम दिल्ली के सांस्कृतिक पुनरुद्धार के लिए एक सामूहिक प्रयास का हिस्सा लगता है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
खंडेलवाल ने पत्र में दिल्ली के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि महाभारत काल (लगभग 3000 ईसा पूर्व) में पांडवों ने हस्तिनापुर से राजधानी स्थानांतरित कर यमुना तट पर इंद्रप्रस्थ बसाया। सल्तनत और मुगल काल में सिरि, तुगलकाबाद, फिरोज शाह कोटला और शाहजहानाबाद जैसे शहर विकसित हुए, लेकिन मूल क्षेत्र इंद्रप्रस्थ ही रहा। ब्रिटिश काल (1911) में लुटियंस दिल्ली का निर्माण भी इंद्रप्रस्थ के प्राचीन स्थल के निकट ही किया गया।यह मांग भाजपा की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नीति से मेल खाती है, जो प्राचीन भारतीय विरासत को पुनर्जीवित करने पर जोर देती है। अभी तक गृह मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह प्रस्ताव दिल्ली की राजनीतिक और सांस्कृतिक बहस को नई दिशा दे सकता है।
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