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बिना सेल्फ़ी कैसा योग

सुबह-सुबह योग करते हुए लोगों को देखता हूँ,तो लगता है साक्षात जागरूक लोगों को देख रहा हूँ |साक्षात जागरूक वो लोग हैं जो टीवी पर किसी चीज़ का अस्तित्व देखकर तेजी से उसके प्रति लालायित होते हैं | मैंने यह बात इसलिए कही कि योग हमारे देश में सदियों से होता रहा है पर पिछले दस-पंद्रह सालों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है जिसका एक कारण टीवी है और दूसरे कारण टीवी पर आने वाले बाबा लोग | हम देशवासियों का स्वभाव इतना सरल है कि हम किसी चीज़ का अस्तित्व तब तक नहीं मानते जब तक वो चीज़ टीवी पर न दिखाई जाये |हम पहले से मौजूद योग को इतना कठिन समझते थे कि समझना ही नहीं चाहते थे ,अब जब आजकल भाँति – भाँति के बाबा ,भाँति-भाँति के कपड़े पहन कर हाथ,पैर,पेट,पीठ हिलाते हैं तो हमें योग का अद्भुत अनुभव प्राप्त होता है | कुछ लोग बाबा जी के योग ज्ञान पर भी सोये रहे और बाद में जब सुन्दर-सुन्दर अभिनेत्रियाँ  योग की विभिन्न और विराट साधनाओं को साधते हुए अपना वीडियो सोशल प्लेटफॉर्म पर साझा करने लगी तो सोये हुए महापुरुषों को महसूस हुआ कि आज की दुनिया में योग से खूबसूरत कोई चीज़ है ही नहीं |योग की प्रेरणा लोगों को ऐसे-ऐसे जगह से मिली कि धीरे-धीरे न केवल योग करने वालों की बल्कि योगाचार्यों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोत्तरी होने लगी | हालत यह है कि ध्यान से आँकलन करें तो योग दिवस पर हर तीसरे घर में दो योगाचार्य मिल जायेंगे | वो खाली योग दिवस पर सक्रिय होते हैं,खूब योग करते हैं और साल भर लाभ उठाते हैं | ऐसा लगता ही नहीं बल्कि कुछ लोगों की तो जबरदस्त धारणा है कि योग दिवस पर योग करके सोशल मीडिया पर फोटो डालने पर वर्ष भर आपको कोई बीमारी नहीं होगी और हो गयी तो समझिये फोटो सही नहीं आयी थी |

 

योग करना एक बात है और योग करते समय फोटो खिँचवाना उससे बड़ी बात है | यह सामान्य मनुष्य के बस की बात नहीं | यह योग से बड़ा  योग है या यूँ कहिये महायोग है | और अगर योग करते हुए आप सेल्फी लेते हैं तो इसे दिव्ययोग कहा जाता है | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई विद्वानों द्वारा कठिन शोध के पश्चात हम इस निर्णय पर पहुँचे कि योग करते समय सेल्फी लेना ही असल में परमेश्वर से साक्षात्कार है ,बाकी सब बेकार है | खुदा का शुक्र है कि ‘खुले में शौच मुक्त’ का कोई दिन नहीं मनाया जाता वर्ना इंडियन लोग शौचालय से डायरेक्ट उसी स्टाईल में सेल्फी पोस्ट करते जैसे आजकल लोग योग दिवस पर योग करते हुए सेल्फी पोस्ट करते हैं | सेल्फी का अविष्कार करने वाला भी दूरदृष्टि वाला था उसे पक्का पता होगा कि कोई ऐसे ले न ले ,योग दिवस पर लोग अनुलोम-विलोम और कपालभांति करते समय सेल्फी जरूर लेंगे | पहले मै सोचता था कि सेल्फी केवल उन लोगों के लिए बड़ा लाभदायक है जो पहले जेब में कंधी रख कर घुमा करते थे और बाल सेट करते  वक्त किसी की बाइक या कार के शीशे में देख कर अपना काम चलाते थे पर आज देखता हूँ सेल्फी के कई फायदे हैं | खासकर योग दिवस पर तो कमाल का इस्तेमाल है |

पिछले साल से मैंने भी योग दिवस पर योग शुरू कर दिया पर अफ़सोस  की बात थी कि फोटो नहीं ले सका | यह बात मुझे साल भर कचोटता रहा | मेरे सारे दोस्तों ने अपने फोटो जब मुझे व्हाट्स ऐप पर भेजते तो कसम से कलेजे पर साँप लोट जाता | लेकिन कभी-कभी गहराई में सोचता हूँ तो लगता है कि अच्छा हुआ कि मोबाइल भूल गया क्योंकि पिछली बार योग दिवस पर एक कांड  हो गया था  | मैं जैसे ही योग के पोज़ीशन में आकर हाथों से पैरों के अंगुलियों को छूने के लिए झुका कि धड़ाम से मुँह के बल गिर गया और गिरते वक़्त मेरा ढीला-ढाला पजामा (जो मैं योग करने के लिए ही साल में एक बार निकालता हूँ ) चरचरा कर फट गया l अब अगर मोबाईल होता तो सेल्फी भी होती और  अगर सेल्फी न भी होती तो किसी को अपना मोबाइल देकर एक फ़ोटो तो खिंचावाता ही खिंचवाता,तो सोचिये मैं बाद में कितना प्रसिद्ध हो गया होता | हालाँकि प्रसिद्ध तो मैं वैसे भी हो ही गया था क्योंकि जब बात बीवी को पता चली तो उसने योग के प्रति मेरी श्रद्धा का बखान करते हुए पूरे मोहल्ले में ये बात पहुँचा दी |योग दिवस के अगले दो-तीन दिन तक जब मै घर से बाहर निकलता तो लोग मुझे बड़े घूर-घूर कर देखते रहे | दरअसल मै जब भी कोई काम करता हूँ तो पूरी ईमानदारी से करता हूँ | योग के दौरान मेरे पजामे ने धोखा दे दिया तो इसमें मेरी क्या गलती है | योग में मेरी मेरी तल्लीनता देखिये ,मेरा समर्पण देखिये ,मेरा लगन देखिये | किसी और के साथ यह घटना घटी होती तो वो लौट कर घर आ जाता पर मैं साधना में लगा रहा | योग भारतीय संस्कृति की पहचान है ,हम तो ऐसे लोग हैं कि अपनी संस्कृति और सभ्यता के दूसरों के कपड़े तक फाड़ दें तो अपना कपड़ा फट गया तो कौन सी बड़ी बात है | अपनी विरासत को बचाने में छोटी-मोटी कुर्बानियाँ देनी पड़े तो दे देनी चाहिए |

वैसे एक बात और है सेल्फी या फोटो  किसी के लिए जरुरी है पर किसी के लिए नुकसान दायक भी है | योग दिवस मनाने की परम्परा जिस सरकार ने शुरू की उसकी विचारधारा के लोग तो धड़ाधड़ फोटो पोस्ट कर रहे हैं पर विरोधी बेचारे योग को पसंद करते हुए भी नहीं कर पा रहे हैं | मैंने एक विपक्ष के नेता से पूछा कि आप योग दिवस नहीं मना रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह हमारे एजेंडे में नहीं है | मैंने कहा कि योग तो अच्छी चीज़ है तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि हम नेता हैं अच्छी और बुरी चीज़ नहीं मानते ,हमारे लिए दोनों चीज़ें समान है | हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हमारा एजेंडा है | वो बेचारे योग दिवस वाले दिन अंगड़ाई और जम्भाई लेने से भी बचते रहे कि कहीं कोई पत्रकार फोटो लेकर यह न छाप दे कि योग दिवस पर विपक्षी नेता भी योग करते हुए दिखाई दिए |एक और विरोधी पार्टी ने तो अपने नेताओं को झुकने के लिए भी मना कर दिया कहीं इसे योग न मान लिया जाय | वैसे कुछ विपक्ष के नेता योग करने-कराने के पक्ष में थे मगर शर्त थी कि कोई फोटो न खींचें | उनकी समस्या फोटो थी | योग कोई समस्या नहीं थी |

इसी देश में दो प्रकार के लोग रहते हैं | एक को फोटो और सेल्फी प्रिय है पर एक को नहीं | एक चाहता है कि हम जो कर रहें हैं उसका प्रचार-प्रसार हो पर दूसरा चाहता है कि हम जो कर रहे हैं उसे कोई न जाने | कुल मिलकर मामला अपने-अपने एजेंडे का है | परन्तु आम जनता तो सेल्फी लेकर ही रहेगी क्योंकि सेल्फी बिना सब सून है | आपने योग भी कर लिया और किसी को बताया भी नहीं तो ऐसे करने से क्या फायदा | योग साधना से आपको तो कुछ फायदा होने से रहा क्योंकि एक-दो दिन में न काया बदलेगी और न ही बीमारी भागेगी तो कम से कम एक फोटो तो होनी चाहिए | भविष्य में जब हम डींगे हाँकते हुए योग की बातें करेंगे तो सबूत के तौर पर सेल्फी ही काम आएगी | वर्ना तो आजकल आपको पता ही है बड़ी-बड़ी स्ट्राइक के सबूत माँगे जाते हैं तो योग दिवस पर योग मनाने की सबूत माँगना कितना बड़ा काम है | कल को आपसे आने वाली पीढ़ी योग या किसी भी काम की सबूत माँगेगी तो सेल्फी ही उनका भरोसा जीतेगी इसलिए सेल्फी लेते रहिये | समय के साथ सब ख़त्म हो जायेगा बस सेल्फी ही बचेगी |

 

  • विनोद पांडेय

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