-144 स्कूलों में से 76 स्कूलों ने फीस का विवरण ही नही भेजा, सभी पर एक-एक लाख रुपये का लगा जुर्माना
गौतमबुद्ध नगर, 11 अप्रैल।
निजी स्कूलों में फीस व अन्य मुद्दों को लेकर शुक्रवार को जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट मीटिंग हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें समिति के सदस्यों ने प्रतिभाग किया गया। बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। जांच के लिए 7 समिति गठित की गई है। 76 स्कूलों पर प्रत्येक पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। प्रत्येक स्कूल को फीस का पूरा ब्यौरा फीस बढाने के फैसले लेने के 60 दिन के अंदर वेबसाइट पर डालना होगा।
1-जिला विद्यालय निरीक्षक/ सदस्य सचिव, जिला शुल्क नियामक समिति द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद के कुल 144 विद्यालयों द्वारा इस वर्ष की गयी फीस वृद्धि का विवरण प्रस्तुत किया गया। जिसमें 03 विद्यालय कमशः अमर पब्लिक स्कूल सेक्टर-37 नोएडा, पारस पब्लिक स्कूल, मिल्क लिच्छी एवं संत किशोरी विद्या मंन्दिर सेक्टर-158 नोएडा द्वारा फीस में अनुमन्य वृद्धि 5%+सीपीआई से अतिरिक्त फीस की वसूली की गयी है। जिला शुल्क नियामक समिति द्वारा उक्त 3 विद्यालय के संचालकों को नोटिस निर्गत कर एक सप्ताह में जवाब मांगा गया कि उनके द्वारा अनुमन्य फीस से अतिरिक्त फीस क्यों ली गयी। समिति द्वारा तत्काल फीस को विद्यालय द्वारा छात्रों को वापस किये जाने के निर्देश दिये गये। शेष 76 विद्यालयों जिनके द्वारा इस वर्ष फीस वृद्धि का कोई विवरण जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया, उन विद्यालयों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करते हुए एक लाख रू० का अर्थदण्ड उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2018 के सुसंगत धाराओं के प्राविधानों के तहत अधिरोपित करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही विद्यालय संचालकों को कारण बताओं नोटिस निर्गत कर एक सप्ताह में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये है।
2-उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2018 की धारा 4 (1) में उल्ललिखित किया गया है। किः” कोई मान्यता प्राप्त विद्यालय अपने विद्यमान छात्रों के लिए पूर्ववती वर्ष के अध्यापन कर्मचारी वर्ग के मासिक वेतन में प्रति व्यक्ति वृद्धि के औसत के बराबर विद्यालय के प्रत्येक वर्ग/कक्षा/स्तर के लिए स्वंय अपने वार्षिक शुल्क में पुनरीक्षित कर सकता है किन्तु शुल्क वृद्धि नवीनतम उपलब्ध वार्षिक प्रतिशत बढे हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक छात्र से वसूल किये गये 5 प्रतिशत शुल्क से अधिक नही होगी।”
उक्त के क्रम में समिति द्वारा निर्णय लिया गया है कि जनपद के समस्त विद्यालय के शैक्षणिक / गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को वर्ष 2024-25 के सापेक्ष वर्ष 2025-26 में कितनी वेतन वृद्धि की गई है इसका विवरण एक सप्ताह में कार्यालय सचिव, जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये है। जिला शुल्क नियामक समिति द्वारा यह भी निर्देश दिये गये है कि जो भी शुल्क वृद्धि की जाये उसको 60 दिन पूर्व बेबसाइट पर अपलोड करें तथा उसकी सूचना कार्यालय सचिव, जिला शुल्क नियामक समिति के कार्यालय में उपलब्ध करायें।
3- उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2018 की धारा 3 (11) के अनुसार यदि किसी विद्यालय द्वारा 5 वर्ष के पूर्व ड्रेस में परिवर्तन किया जाता है तो ऐसे विद्यालय के विरुद्ध जाँच कराकर कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये है। समिति के द्वारा निर्णय लिया गया है कि तहसील स्तर पर सिटी मजिस्ट्रेट / उपजिलाधिकारी / तहसीलदार की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की टीम गठित कर निरीक्षण कराया जाये तथा यह भी सुनिश्चित कराया जाये किसी भी विद्यालय के द्वारा जूते, मौजे एवं ड्रेस आदि अभिभावकों को खरीदने हेतु बाध्य न किया जाये तथा ऐसे विद्यालय जिनके विरूद्ध शिकायतें प्राप्त होती है प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विद्यालय की जाँच की जाये तथा दोषी पाये जाने पर तत्काल कार्यवाही प्रस्तावित करें। उक्त के लिए स्कूलों की जॉच हेतु सिटी मजिस्ट्रेट नोएडा, उपजिलाधिकारी दादरी, उपजिलाधिकारी सदर, उपजिलाधिकारी जेवर, तहसीलदार दादरी, तहसीलदार सदर तथा डिप्टी कलैक्टर वेद प्रकाश पाण्डेय की अध्यक्षता में 07 जाँच समितियों का गठन किया गया है जो अपने-अपने क्षेत्र में विद्यालयों की जाँच कर यह सुनिश्चित करेंगें कि किसी भी विद्यालय में छात्र /अभिभावक को ड्रेस, किताबें, जूते, मौजे आदि की खरीद के लिए बाध्य तो नही किया जा रहा है।
अभिभावक संघ ने किया फैसले का स्वागत
गौतमबुद्धनगर पेरेंट्स वेल्फेयर सोसाइटी (जीपीडब्ल्यूएस) के संस्थापक मनोज कटारिया ने कहा है कि जिला शुल्क विनिमायक समिति द्वारा 76 निजी स्कूलो पर जिला शुल्क विनियामक समिति (डी. एफ. आर. सी.) द्वारा दंडात्मक कार्यवाही एक स्वागतयोग्य कदम है जो अभिभावक स्कूलो की मनमानी से त्रस्त थे उनके लिए यह सांत्वना देने वाला कदम है
दो वर्ष के बाद स्कूलो के ऊपर बड़ी कार्यवाही हुई थी और स्कूलो पर डी.एफ.आर.सी. ने आर्थिक दण्ड लगाया था उस विषय पर आजतक अभिभावकों को कोई जानकारी नहीं मिली है इसलिए अभिभावक प्रशासन से मायूस थे ।
76 निजी स्कूलो पर बड़ी कार्यवाही यह बताती है कि शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले ये विद्यालय अपने विद्यार्थियों को विधिबद्ध नागरिक देश-भक्त तथा ईमानदारी का पाठ कैसे पढ़ा पायेंगे जबकि जहां वे शिक्षा ले रहे हैं उन विद्यालयों सरकारी कानूनों के उल्लंघन करने पर जुर्माना लगा हुआ है।