वाराणसी। (नोएडा खबर डॉट कॉम)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया है। समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया है कि झूठे आंकड़ों और दमनकारी नीतियों के बल पर मुनाफे में चल रहे निगम को घाटे में दिखाकर निजीकरण की साजिश रची जा रही है। 11 जुलाई को वाराणसी में टैरिफ सुनवाई के दौरान समिति नियामक आयोग के सामने निजीकरण रद्द करने की मांग उठाएगी।
समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्वांचल निगम वर्ष 2024-25 में 3242 करोड़ रुपये के मुनाफे में है। निगम ने 13,297 करोड़ रुपये का राजस्व वसूला, जबकि सरकारी विभागों के बकाए 4182 करोड़ रुपये को जोड़कर कुल राजस्व 17,479 करोड़ रुपये रहा। 6327 करोड़ रुपये की सब्सिडी (किसानों, बुनकरों और गरीब उपभोक्ताओं के लिए) के साथ कुल आय 23,806 करोड़ रुपये है, जबकि खर्च मात्र 20,564 करोड़ रुपये रहा। फिर भी, प्रबंधन कथित घाटे का हवाला देकर निजीकरण को बढ़ावा दे रहा है।समिति ने दावा किया कि निजीकरण के बाद बिजली दरों में भारी वृद्धि होगी और किसानों, बुनकरों व गरीबों की सब्सिडी खत्म हो सकती है। इसके खिलाफ 225 दिनों से चल रहा प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी है। आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर सहित कई शहरों में विरोध सभाएं हुईं।
आरोप है कि निजीकरण के विरोध को कुचलने के लिए कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है। हजारों कर्मियों का वेतन रोका गया, कईयों का स्थानांतरण कर दिया गया, और समिति के पदाधिकारियों पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। समिति ने चेतावनी दी कि ये हथकंडे आंदोलन को नहीं रोक पाएंगे और निजीकरण का फैसला वापस होने तक संघर्ष जारी रहेगा।